बर्लिन । पश्चिमी यूरोप में बाढ़ से हर तरफ तबाही मची हैं। घरों और सड़कों को काफी नुकसान पहुंचा है। बाढ़ के चलते अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। जबकि सैकड़ों लोग अब भी लापता हैं। पानी घटने पर राहत और बचाव कार्य तेज कर दिया गया है। लापता लोगों की तलाश की जा रही है। अधिकारियों ने मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई है।
विज्ञानियों ने इस विनाशकारी बाढ़ के लिए जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार ठहराया है। वे लंबे समय से यह चेतावनी दे रहे हैं कि जलवायु परिवर्तन के चलते भारी बारिश की संभावना बढ़ जाती है। इससे यह जाहिर होता है कि कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाने की जरूरत है।
मालूम हो कि बाढ़ प्रभावित ज्यादातर क्षेत्रों में पानी कम होना शुरू हो गया। उन्होंने बाढ़ में बह गए वाहनों से शव मिलने की आशंका जताई है। कई इलाकों में बिजली और टेलीफोन सेवाएं बाधित हैं। नीदरलैंड में भी भारी बारिश के चलते कई नदियों में जलस्तर बढ़ गया है। इससे दक्षिणी प्रांत लिमबर्ग में नदियों के किनारे वाले शहरों और गांवों को खतरा पैदा हो गया है। हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। स्विटजरलैंड में भी बाढ़ जैसी स्थिति है।
जानकारी के अनुसार, बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित पश्चिमी जर्मनी के एहरवीलर काउंटी में 90 से ज्यादा लोगों की जान गई है। यह काउंटी राइनलैंड-पैलेटिनेट राज्य में है। इससे सटे नार्थ राइन-वेस्टफैलिया राज्य में 43 लोगों के मरने की पुष्टि की गई है। जर्मनी के इन राज्यों में करीब 1,300 लोगों के लापता होने की खबर है। जबकि बेल्जियम में शनिवार को मरने वालों की संख्या बढ़कर 27 हो गई। यहां भी 20 लोग लापता बताए गए हैं।