ओस्लो। नार्वे में राजधानी ओस्लो के नजदीक रविवार देर रात तेज आवाज के साथ आकाश से उल्का पिंड गिरा। इस उल्का पिंड की आवाज और तेज चमक से लोगों में उसे लेकर कौतूहल पैदा हो गया। कुछ लोग डरे भी, लेकिन उसे लेकर लोगों में चर्चा भी खूब रही। उल्का पिंड से किसी तरह का नुकसान होने की फिलहाल कोई खबर नहीं है।
उल्का आकाश में चमकने वाले तारे होते हैं, आकर्षण बल कम होने के कारण अंतरिक्ष से गिर जाते हैं, उल्का वास्तव में आकाश में चमकने वाले तारे होते हैं जो आकर्षण बल कम होने के कारण अंतरिक्ष से गिर जाते हैं। वायुमंडल में आते ही पैदा होने वाले घर्षण से इनमें आग लग जाती है और उनका ज्यादातर हिस्सा जल जाता है। इसी के कारण वह जलते हुए धरती पर गिरते हैं।
नार्वे का सरकारी महकमा उल्का पिंड गिरने की घटना का विश्लेषण कर रहा है। जिस स्थान पर उल्का पिंड गिरा है वह ओस्लो से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर जंगली इलाका है। दिन में सरकारी अधिकारी वहां पर जाएंगे और देखेंगे कि उल्का का कितना अस्तित्व बाकी बचा है और उससे कितना नुकसान हुआ है।
जिन्होंने उल्का पिंड को गिरते देखा, उन्होंने बताया कि यह बहुत तेज था। रविवार दोपहर तक इसका कोई मलबा नहीं मिला था। बिलेट का कहना है कि संभावित उल्का पिंडों की खोज में करीब 10 साल लग सकते हैं। उल्का पिंड 15-20 किमी प्रति सेकेंड की रफ्तार से बढ़ रहा था और आसमान में करीब 5-6 सेकेंड तक इसकी चमक दिखाई दी। कुछ लोगों ने यह भी कहा कि उन्होंने इस घटना के साथ एक तेज हवा का झटका महसूस किया, जिससे दबाव की लहर भी पैदा हुई।
2013 में रूस में गिरा था उल्का पिंड, 1200 लोग घायल हुए थे
2013 में रूस के चेलयाबिंन्स्क शहर के पास एक उल्का पिंड गिरा था। इसकी वजह से 1200 लोग घायल हुए थे और काफी इमारतों को नुकसान पहुंचा था।
इन दिनों दुनियाभर में उल्का पिंड को लेकर काफी ज्यादा चर्चा है। हाल ही में पृथ्वी के करीब से एक उल्का पिंड गुजरा था। जिसने दुनियाभर में हलचल मचा दी थी लेकिन इन सब चर्चाओं के बीच राजस्थान के जालोर में आसमान से एक चीज आकर गिरी है। जिसके धमाके की आवाज 2 किमी दूर तक सुनाई दी। इस धमाके ने पूरे इलाके में हंगामा मचा दिया, लेकिन जब जांच की गई तो खुलासा हुआ कि आसमान से एक उल्का पिंड आकर राजस्थान की धरती पर गिरा है। जिसकी कीमत करोड़ों की हो सकती है। दरअसल ये उल्का पिंड राजस्थान के जलोर के संचौर चरखी गायत्री कॉलेज के पास गिरा था। जिससे जमीन पर एक फुट तक गड्ढा हो गया।