नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते मामले और मौतों का आंकड़ा दिल्लीवासियों को डरा रहा है। अत्यधिक मौत होने के कारण शवदाह गृहों पर भी दबाव बढ़ गया है। आलम यह है कि श्मशान घाटों पर शवदाह के लिए कई घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है तो वहीं कब्रिस्तानों में भी लगातार जगह भर रही हैं। यही वजह है कि वर्तमान श्मशान घाटों और शवदाह गृहों की लगातार क्षमता बढ़ाई जा रही है। बदलते हालातों को देखते हुए अब उत्तरी निगम ने मंगोलपुरी में शवदाह गृह के साथ कब्रिस्तान बनाने का काम शुरू कर दिया है। यहां दस एकड़ जमीन है जिस पर एक नया शवदाह गृह और दो कब्रिस्तान बनाए जा रहे हैं। उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश ने कहा कि कोरोना के चलते लगातार लोगों की दुखद मौत हो रही है। कोरोना के इस हालात में वैसे ही लोग परेशान हैं। ऐसे में जिन लोगों की दुखद मौत हो रही है उनके अंतिम संस्कार में और परेशानी नहीं होनी चाहिए। निगम ने ऐसे हालात में निगम ने मंगोल पुरी में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा आवंटित 10 एकड़ जमीन पर शवदाह गृह (पांच एकड़ में), तीन एकड़ में कब्रिस्तान (मुस्लिमों के लिए) और दो एकड़ में ईसाइयों के लिए कब्रिस्तान के लिए जमीन को तैयार करना शुरू कर दिया है। यहां पर जमीन को समतल किया जा रहा है। वहीं शवदाह गृह के लिए प्लेटफार्म बनाए जा रहे हैं। जरुरत के आधार पर इन्हें शुरू कर दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में 11 स्थानों पर कोरोना से मृतकों के लिए अंतिम संस्कार के लिए चिन्हित हैं। इसमें एक श्मशान घाट हैं तो वहीं सात शवदाह गृह और दो कब्रिस्तान हैं। आइटीओ के कब्रिस्तान पर लगातार दवाब बढ़ रहा है। यहां पर 100-125 शवों को दफनाने की जगह बची है। ऐसे में आने वाले समय में और कब्रिस्तान की जरुरत पड़ सकती है। इसको देखते हुए दक्षिणी निगम ने दिल्ली वक्फ बोर्ड को पत्र लिखकर जमीन उपलब्ध कराने की मांग की है। निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कॉलोनियों में वैसे बहुत संख्या में कब्रिस्तान हैं। लेकिन, स्थानीय लोग वहां पर कोरोना से मृतकों को दफनाने का विरोध कर रहे हैं।