डॉ. वेदप्रताप वैदिक
कोरोना के टीकों की किल्लत ने भारत सरकार के होश फाख्ता कर दिए हैं। कई राज्यों ने 18 साल से ऊपर के लोगों को टीका लगाने का अभियान स्थगित कर दिया है। हालांकि भारत सरकार टीका-उत्पादन को बढ़ाने का भरसक प्रयत्न कर रही है और विदेशों से भी टीके मंगा रही है लेकिन जिस रफ्तार से भारत में टीके लग रहे हैं, सारे लोगों तक टीके को पहुंचने में साल-दो साल भी लग सकते हैं। इसमें शक नहीं कि हमारे स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य सरकारों ने साढ़े 18 करोड़ टीके लगाकर भारत को टीकाकरण में अग्रणी देश बना दिया है लेकिन इस मामले में हम चीन से कुछ सबक क्यों नहीं लेते? ऐसा माना जाता है कि चीन के वुहान शहर से ही कोरोना सारी दुनिया में फैला है लेकिन चीन को इस बात की शाबाशी भी मिल रही है कि उसने ही सबसे पहले कोरोना या कोविड को काबू किया है। चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने तालाबंदी शुरू में ही लागू की और बड़ी सख्ती से लागू की। भारत की तरह वहां ढीला-ढाला इंतजाम नहीं था। चीनी नेताओं ने हमारे नेताओं की तरह भीड़भरी सभाओं में भाषण नहीं झाड़े और लोगों को महामारी से मुक्त होने के मुगालते में नहीं रखा। उसने अपने यहां दवाइयों, इंजेक्शनों और आक्सीजन की कालाबाजारी नहीं होने दी। कम्युनिस्ट पार्टी के कारोड़ों कार्यकर्ता हमारे नेताओं की तरह घूंघट काढ़कर घर में नहीं बैठे रहे। उन्होंने गांव-गांव और शहर-शहर जाकर लोगों की सेवा की। चीनी नेताओं ने अपने टीके की बहुत डींग भी नहीं मारी। उन्होंने लगभग 100 देशों को चीनी टीके दिए हैं। कुछ से पैसे लिये, कुछ को मुफ्त में दिए। मुझे कुछ अफ्रीकी और हमारे कुछ पड़ौसी देशों के दोस्तों के फोन आए। उन्होंने बताया कि चीनी टीके के दो-दो डोज लेकर वे सुरक्षित अनुभव कर रहे हैं। चीनी टीका सस्ता और सुलभ है। सबसे बड़ी खबर यह आई है कि चीन ने पिछले नौ दिन में 10 करोड़ टीके अपने नागरिकों को लगा दिए हैं। अब तक चीन अपने लोगों को 40 करोड़ टीके लगा चुका है। इतने टीके तो अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी ने भी कुल मिलाकर नहीं लगाए हैं। एक दिन में सवा करोड़ लोगों को टीका लगाना अपने आपमें एक मिसाल है। जो काम चीन ने किया, वह भारत भी कर सकता है लेकिन उसके लिए हमारी जनता और सरकारों में दृढ़ संकल्प शक्ति की आवश्यकता है। हमारे पास लगभग 60 लाख स्वास्थ्यकर्मी हैं, 20 लाख फौजी हैं और करोड़ों राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। यदि सबको सक्रिय करने वाला कोई महान नेता देश में हो तो सिर्फ कुछ हफ्तों में ही सारे नागरिकों को टीके लगाए जा सकते हैं। टीका लगाने का प्रशिक्षण देने में कितनी देर लगती है? इसके अलावा हर नागरिक को पारंपरिक काढ़ा, घरेलू मसालों, प्राणायाम और व्यायाम (आहार और विहार) के द्वारा कोरोना का मुकाबला करना सिखाया जा सकता है।
लेकिन खास सवाल यह है कि 200-250 करोड़ टीके आप लाएंगे कहां से? हमारे नेताओं के लिए यह बड़ी चुनौती है। वे बातें बड़ी-बड़ी करते हैं लेकिन वे बड़ा काम करके भी दिखाएं। वे साम, दाम, दंड, भेद जिसका भी प्रयोग कर सकें, करें। टीके लाएं भी और बनाएं भी। चीन देता हो तो उससे भी ले लें। चीन से अप्रैल-मई में अब तक भारत ने 5000 वेंटिलेटर्स, 21000 आक्सीजन जनरेटर, 2 करोड़ मास्क और लगभग 4 हजार टन दवाइयां खरीदी हैं। वह उससे करोड़ों टीके भी खरीद सकता है। चीन ने कई बार मदद की पहल भी की है।