हापुड़। जनपद के सिंभावली ब्लॉक के अंतर्गत जनता इंटर कॉलेज गोहरा आलमगीरपुर में शुक्रवार को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके), राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के अंतर्गत किशोर स्वास्थ्य मंच का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के दौरान किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक और हार्मोनल बदलावों के साथ ही बताया गया कि इस आयु में किशोरियों को स्वास्थ्य के प्रति विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत होती है। शरीर में लौह (आयरन) तत्व की आवश्यक पूर्ति के लिए आयरन की गोलियां वितरित की गईं, साथ ही छात्राओं को डी वार्मिंग और माहवारी स्वच्छता के बारे में विस्तार से बताया गया। कार्यक्रम के दौरान जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की जानकारी दी।
पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट (पीएचई) डा. प्रेरणा श्रीवास्तव ने अपने संबोधन में वायु और जल प्रदूषण के बारे में विस्तार से बताया, साथ ही प्रदूषण से होने वाले बीमारियों और प्रदूषण से बचाव के बारे में भी जानकारी दी। डीईआईसी मैनेजर डा. मयंक चौधरी ने माहवारी स्वच्छता और एनीमिया के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि माहवारी एक प्राकृतिक क्रिया है। इसके बारे में अपनी मां-बहन और शिक्षिका से खुलकर बात करें। माहवारी के दौरान सेनेटरी नैपकिन का ही प्रयोग करें, यदि किसी कारणवश नैपकिन उपलब्ध न हो पाए तो ध्यान रखें कि इस्तेमाल किया जाने वाला कपड़ा साफ हो। छह से आठ घंटे में नैपकिन बदल लें, ऐसा न करने पर संक्रमण का खतरा रहता है।
डा. मयंक ने बताया कि किशोरावस्था में पोषक तत्वों की जरूरत होती है, पोषक तत्वों खासकर लौह तत्व की कमी होने पर किशोरियों एनीमिया (खून की कमी) की शिकार हो जाती हैं। उसके लिए किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मिलने वाली आयरन की गोलियां का सेवन करें। साथ ही अपने भोजन में नियमित रूप से हरी सब्जियां जरूर शामिल करें। हरी पत्तेदार सब्जियों में लौह तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र- सिंभावली – सिखेड़ा के प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. अमित बैंसल ने इस मौसम में डेंगू और मलेरिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों के लक्षण और बचाव की जानकारी दी। उन्होंने छात्र-छात्राओं से कहा कि पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनें और रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। कूलर, एसी और फ्रिज की ट्रे को साफ करते रहें, घर के आसपास पानी जमा न होने दें, इससे मच्छर पैदा होते हैं। पौष्टिक आहार लें और अपने आहार में पेय पदार्थ ज्यादा शामिल करें। बुखार, थकान या शरीर में दर्द होने पर चिकित्सक से परामर्श करें। जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दो सप्ताह से अधिक खांसी, खांसी में बलगम या खून आना, रात में सोते समय पसीना आना, सीने में दर्द, बुखार-थकान और वजन कम होना, यह सब खांसी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई भी लक्षण आने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर टीबी की जांच कराएं। टीबी की पुष्टि होने पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से उपचार की व्यवस्था है, उपचार जारी रहने के दौरान सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत हर माह पांच सौ रुपए रोगी के खाते में भेजे जाते हैं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि अपने घर में जाकर टीबी के लक्षणों के बारे में बताएं और यदि किसी व्यक्ति में लक्षण नजर आएं तो उसे जांच कराने के लिए प्रेरित करें। कार्यक्रम के दौरान आरबीएसके की सिंभावली ब्लॉक की टीम से डा. नेक सिंह, डा. सुहेल और डा. अंतिका शर्मा के साथ ही हरेंद्र कुमार, राकेश कुमार और किरण देवी मौजूद रहीं।