नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा महासचिव (संगठन) बीएल संतोष के साथ एक मैराथन बैठक की है। माना जा रहा है कि इस बैठक में केंद्रीय मंत्रिपरिषद के संभावित विस्तार को अंतिम रूप दिया गया।
अगर प्रधानमंत्री इस दिशा में कदम बढ़ाते हैं तो मई, 2019 में दूसरी बार सरकार की बागडोर संभालने के बाद यह उनकी मंत्रिपरिषद का पहला विस्तार होगा। वर्तमान में मंत्रिपरिषद में 53 मंत्री हैं जिनकी अधिकतम संख्या 81 हो सकती है।
जानकारी के अनुसार शाह और संतोष ने प्रधानमंत्री आवास पर मोदी के साथ कई घंटों तक बातचीत की। इस बैठक से इस संभावना को बल मिला है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद का जल्द विस्तार हो सकता है। कुछ सूत्रों का कहना है कि बुधवार को शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है, हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है।
अगले साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उनमें से उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक प्रतिनिधित्व मिल सकता है। सूत्रों का कहना है कि मंत्रिपरिषद में बंगाल को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है। असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुशील कुमार मोदी को मंत्री पद का प्रबल उम्मीदवार माना जा रहा है। इनके अलावा भाजपा के कुछ सहयोगी दलों को भी मंत्री पद दिए जाने के संकेत हैं।
माना जा रहा है कि भाजपा के सहयोगियों जदयू और अपना दल को भी मंत्रिपरिषद में प्रतिनिधित्व मिल सकता है। शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल के भाजपा से नाता तोड़ने के बाद वर्तमान में सहयोगी दलों में सिर्फ रिपब्लिकन पार्टी के नेता रामदास आठवले ही मंत्रिपरिषद में शामिल हैं। लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की पिछले साल मृत्यु के बाद अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि उनके भाई पशुपति कुमार पारस को मंत्रिपरिषद में स्थान मिलेगा अथवा नहीं।
अगर प्रधानमंत्री इस दिशा में कदम बढ़ाते हैं तो मई, 2019 में दूसरी बार सरकार की बागडोर संभालने के बाद यह उनकी मंत्रिपरिषद का पहला विस्तार होगा। वर्तमान में मंत्रिपरिषद में 53 मंत्री हैं जिनकी अधिकतम संख्या 81 हो सकती है।
जानकारी के अनुसार शाह और संतोष ने प्रधानमंत्री आवास पर मोदी के साथ कई घंटों तक बातचीत की। इस बैठक से इस संभावना को बल मिला है कि केंद्रीय मंत्रिपरिषद का जल्द विस्तार हो सकता है। कुछ सूत्रों का कहना है कि बुधवार को शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है, हालांकि इस बारे में कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है।
अगले साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं उनमें से उत्तर प्रदेश को सर्वाधिक प्रतिनिधित्व मिल सकता है। सूत्रों का कहना है कि मंत्रिपरिषद में बंगाल को भी प्रतिनिधित्व मिल सकता है। असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुशील कुमार मोदी को मंत्री पद का प्रबल उम्मीदवार माना जा रहा है। इनके अलावा भाजपा के कुछ सहयोगी दलों को भी मंत्री पद दिए जाने के संकेत हैं।
माना जा रहा है कि भाजपा के सहयोगियों जदयू और अपना दल को भी मंत्रिपरिषद में प्रतिनिधित्व मिल सकता है। शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल के भाजपा से नाता तोड़ने के बाद वर्तमान में सहयोगी दलों में सिर्फ रिपब्लिकन पार्टी के नेता रामदास आठवले ही मंत्रिपरिषद में शामिल हैं। लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान की पिछले साल मृत्यु के बाद अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि उनके भाई पशुपति कुमार पारस को मंत्रिपरिषद में स्थान मिलेगा अथवा नहीं।