श्वसन के व्यायाम के जरिए बढ़ाई जा सकती है फेफड़ों की ताक
गाजियाबाद। आईएमए गाजियाबाद के कोषाध्यक्ष और नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डा. नवनीत वर्मा ने कहा कि हर आदमी के फेफड़ों में आक्सीजन भरने की क्षमता अलग-अलग होती है। जिस तरह से व्यायाम के जरिए शरीर की मांसपेशियों की ताकत (स्ट्रैंथ) बढ़ाई जा सकती है, उसी प्रकार श्वसन से जुड़े व्यायाम फेफड़ों की ताकत बढ़ाने का काम करते हैं। व्यायाम करने वालों और व्यायाम न करने वाले व्यक्ति के फेफड़ों की ताकत में थोड़ा-बहुत नहीं, दस गुना तक अंतर हो सकता है। जी हां, फेफड़ों में पांच सौ एमएल यानि आधा लीटर से लेकर पांच लीटर तक आॅक्सीजन ली जा सकती है। जो लोग श्वसन से जुड़े व्यायाम करते हैं, उन्हें कोरोना वायरस का खतरा काफी कम है, दूसरी ओर कभी व्यायाम न करने वाले कोविड-19 के लिए ज्यादा प्रोन हैं। उन्होंने सलाह दी कि जो लोग श्वसन से जुड़े व्यायाम नहीं करते, वह तत्काल ऐसा करना शुरू कर दें। कुछ नहीं तो रोजाना नियमित रूप से गहरी सांसें (डीप ब्रीदिंग) ही लें। तमाम प्राणायाम फेफड़ों की ताकत बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि फेफड़ों में आॅक्सीजन के लिए जो छिद्र (हॉल) बने होते हैं, व्यायाम नहीं करने से उनका आकार छोटा होता जाता है, इसके विपरीत जो लोग श्वसन से जुड़े व्यायाम करते हैं, उनके फेफड़ों में यह छिद्र बड़े होते है, मतलब उनकी आॅक्सीजन को भरने की क्षमता काफी बढ़ जाती है। कोरोना वायरस श्वसन तंत्र पर ही हमला करता है, फेफड़ों तक वायरस का हमला होने से स्थिति काफी गंभीर हो जाती है, ऐसे में जिन लोगों के फेफड़े मजबूत हैं, उन्हें उतनी परेशानी नहीं होती। डा. वर्मा ने बताया, जिस प्रकार लोग विटामिन सी और जिंक की गोलियां खाकर कोरोना से लड़ने के लिए खुद हो तैयार कर रहे हैं, उसी प्रकार श्वसन से जुड़े व्यायाम भी शुरू कर दें। कुछ नहीं तो नियमित रूप से 10 से 15 मिनट तक डीप ब्रीदिंग ही कर लें। इससे भी फेफड़ों को ज्यादा आॅक्सीजन मिलेगी और फेफड़ों की सेहत सुधरनी शुरू हो जाएगी। कई लोग बैठकर व्यायाम नहीं कर सकते, ऐसे लोग बिस्तर पर लेटकर ही वशिष्ठ प्राणायाम कर सकते हैं। श्वसन से जड़े व्यायाम फेफड़ों को अधिक सक्रिय रखने में मदद करते हैं।