- सर्दी-खांसी और बुखार होने पर कोविड जांच अवश्य कराएं
- पॉजिटिव आने पर परिजनों से सुरक्षित दूरी पर रहें
गाजियाबाद। सर्दी का मौसम है। बीच-बीच में बरसात भी हो रही है। ऐसे में कई बार सामान्य बुखार और जुकाम-खांसी भी हो सकती है। लेकिन इन्हें सामान्य मानकर अपना उपचार करते रहना ठीक नहीं है। बेहतर हो कि अपनी कोविड जांच करा लें और फिर रिपोर्ट के अनुरूप व्यवहार करें। यानि कोविड पॉजिटिव हो गए हैं तो परिवार के अन्य सदस्यों के बचाव के लिए उनसे दूर रहें। अपने कपड़े आदि अलग रखें और चिकित्सक की सलाह पर ही उपचार लें। यह बातें शुक्रवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. भवतोष शंखधर ने कहीं। कोविड के मामले में बढ़ रहे हैं लेकिन अधिकतर मामलों में पीड़ित को अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ रही। यानि अधिकतर माइल्ड केस हैं। ऐसे में चिकित्सक की सलाह पर घर में रहकर उपचार कर सकते हैं। चिकित्सकीय परामर्श के लिए तमाम आॅनलाइन विकल्प मौजूद हैं।
सीएमओ डा. भवतोष का कहना है कि जुकाम-खांसी और बुखार कैसा भी हो, पूरी सतर्कता जरूरी है। बुखार आने के साथ ही कोरोना की जांच कराएं। उससे भी पहले जैसे ही आपको शरीर में दर्द, जुकाम, खांसी या फिर बुखार के लक्षण महसूस हों, सबसे पहले खुद को आइसोलेट कर लें। आपका यह कदम आपके करीबियों को संक्रमण से बचाने में मदद करेगा। आइसोलेशन का यह मतलब भी नहीं है कि परिजन मरीज की सुध ही न लें। ऐसा करना, कई बार मनोबल तोड़ने का कारण बन सकता है और मनोबल टूटने पर कोई बीमारी अपना वेग बढ़ा देती हैं। मरीज से एक सुरक्षित दूरी पर रहकर मिलें। पास जाने पर मॉस्क अवश्य लगाएं।
सीएमओ ने कहा कोरोना टेस्ट कराने के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर बिल्कुल न घबराएं। कोविड-19 के अधिकतर मामले सामान्य श्रेणी हैं जो घर में ही तीन-चार दिन के उपचार के बाद ठीक हो जा रहे हैं। बहुत कम मामलों में ही अस्पताल जाने की जरूरत होती है। कितने ही लोगों को तो इस बात का आभास तक नहीं होता कि वह कब पॉजिटिव हो गए और समय के साथ निगेटिव भी हो गए। अधिकतर मामलों में हल्का बुखार और जुकाम-खांसी होती है। इसलिए रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर पैनिक न हों। चिकित्सक की सलाह पर ही दवा लें। चिकित्सक के संपर्क में रहें। घर में बाकी परिजनों से थोड़ी दूरी बनाकर रखें और मन व मस्तिष्क को शांत रखते हुए आराम करें। शरीर में आॅक्सीजन का लेबल कम होने का शक हो तो छह-सात मिनट तेज वॉक करके देखें। यदि ऐसा करने से परेशानी बढ़ती है तो आॅक्सीमीटर की व्यवस्था करें।
शरीर में यूं तो आॅक्सीजन का सेच्यूरेशन 94 से लेकर 98 के बीच रहना अच्छा माना जाता है। 94 से कम होने पर मॉनीटरिंग की जरूरत होती है, यानि आपको लगातार चिकित्सक के संपर्क में रहना चाहिए। बेहतर आॅक्सीजन लेबल के लिए आप उल्टे (प्रोनिंग पॉजीशन में) लेट सकते हैं। कई बार नाक बंद होने से भी शरीर को आॅक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है, ऐसे में भाप लें। ज्यादा दिक्कत होने पर चिकित्सक की सलाह पर नेबुलाइज भी कर सकते हैं। निगेटिव खबरों से अपने आपको अलग रखने का प्रयास करें। कोरोना पॉजिटिव होने पर बेशक शरीर को आराम की जरूरत होती है, लेकिन श्वसन से जुड़े व्यायाम जारी रखना बेहतर बताया गया है, डीप ब्रीदिंग शरीर को मिलने वाली आॅक्सीजन में बढ़ोतरी करती है और फेफड़ों की सक्रियता बनी रहती है। लेकिन ध्यान रहे व्यायाम जितना आराम से हो उतना ही करें।