- परिवार पूरा कर चुकीं 111 महिलाओं ने भी स्वेच्छा से अपनाई नसबंदी
- महिलाओं ने दीर्घकालिक अस्थाई परिवार नियोजन साधन भी अपनाए
हापुड़। पुरुष नसबंदी (एनएसवी) पखवाड़ा में 10 पुरुषों ने समझदारी दिखाते हुए खुद आगे आकर नसबंदी को अपनाया और अन्य पुरुषों के लिए बानगी पेश करने का प्रयास किया। इस पखवाड़ा में स्वेच्छा से नसबंदी अपनाने वाली महिलाओं की संख्या 111 रही। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी ने बताया – यह आंकड़े 21 नवंबर से 11 दिसंबर तक चले पुरुष नसबंदी पखवाड़ा के हैं। पहले चरण में 21 से 27 नवंबर तक जागरूकता अभियान चलाया गया था, दूसरे चरण में 28 नवंबर से 04 दिसंबर तक प्रस्तावित सेवा प्रदायगी पखवाड़ा का विस्तार करते हुए शासन से इसे 11 दिसंबर तक बढ़ा दिया गया था। परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. प्रवीण शर्मा ने बताया कि महिलाओं ने परिवार नियोजन के दीर्घकालिक अस्थाई साधनों में भी काफी रुचि दिखाई है। पखवाड़ा के दौरान 882 महिलाओं ने आईयूसीडी, 320 महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी और तीन महिलाओं ने पीएआईयूसीडी अपनाई। सबसे ज्यादा 279 आईयूसीडी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र धौलाना पर और 63 पीपीआईयूसीडी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) हापुड़ पर लगाई गईं। जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ के मुताबिक जनपद में परिवार नियोजन के लिए चलाए गए इस विशेष अभियान के दौरान कुल 355 महिलाओं ने तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन ह्लअंतराह्व भी अपनाया। सबसे अधिक ह्लअंतराह्व सीएचसी, हापुड़ पर ही लगाए गए। नसबंदी की बात करें तो सबसे ज्यादा नसबंदी भी सीएचसी हापुड़ पर ही हुईं, यहां छह पुरुष और 46 महिला नसबंदी हुईं। इसके अलावा पखवाड़ा के दौरान पूरे जनपद में करीब एक लाख कंडोम, गर्भनिरोधक गोलियों में 3700 से अधिक माला-एन और 3300 से अधिक छाया व 900 से अधिक ईसीपी वितरित की गईं।
आईयूसीडी (इंट्रा यूट्राइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस)
यह अत्यधिक प्रभावी, लंबे समय तक काम आने वाली परिवार नियोजन विधि है, जिसे माहवारी के बाद अपनाया जा सकता है और इच्छानुसार इसका प्रयोग रोककर गर्भधारण किया जा सकता है। इसका प्रयोग दो बच्चों के बीच अंतर रखने के लिए किया जाता है, यह दो प्रकार की होती है-आईयूसीडी-380, दस वर्षों तक और आईयूसीडी-375 पांच वर्षों तक प्रभावी रहती है।
पीपीआईयूसीडी (पोस्ट पार्टम इंट्रा यूट्राइन कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस)
यह अत्यधिक प्रभावी और लंबे समय की परिवार नियोजन विधि है, जिसे प्रसव के बाद 48 घंटे में अपनाया जा सकता है। इच्छानुसार जब दूसरे बच्चे का विचार बने तो महिलाएं इसे आसानी से निकलवा कर गर्भधारण कर सकती हैं। जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ के मुताबिक पीपीआईयूसीडी भी दो प्रकार की होती है और पांच व 10 वर्षों तक प्रभावी रहती है।