- संचारी रोग नियंत्रण माह में साफ-सफाई के लिए
- दस्तक अभियान में ग्रामीणों से सहयोग की अपील की
हापुड़। पंचायती राज विभाग और स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त अभियान में हापुड़ ब्लॉक में ग्राम प्रधानों का संवेदीकरण किया गया। दोनों विभागों के अधिकारियों ने जुलाई माह में चलने वाले संचारी रोग नियंत्रण माह के बारे में विस्तार से जानकारी देने के साथ ही ग्रामीणों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक करने की अपील की। इसके साथ ग्राम प्रधानों को बताया गया कि संचारी रोग नियंत्रण माह के दूसरे पखवाड़े में आयोजित होने वाले दस्तक अभियान के तहत आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाएंगी। ग्राम प्रधान दस्तक अभियान में सहयोग करें और ग्रामीणों को बताएं कि सर्वे के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकतार्ओं को सही-सही जानकारी दें। दस्तक अभियान के दौरान टीबी रोगी भी खोजे जाएंगे।
एडीओ पंचायत संजय कुमार ने ग्राम प्रधानों को संबोधित करते हुए कहा कि बरसात शुरू होने वाली है, यह मौसम संचारी रोगों जैसे- डेंगू, मलेरिया और वायरल बुखार के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होता है। इसलिए इस मौसम में अतिरिक्त सावधानी की जरूरत होती है। इसीलिए शासन के आदेश पर जुलाई माह में संचारी रोग नियंत्रण माह का आयोजन किया जाता है। घरों के आसपास पाए जाने वाले मच्छर संचारी रोगों के लिए वाहक का काम करते हैं, मच्छरों पर रोकथाम के जरिए संचारी रोगों को काबू किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि घर के आसपास पानी जमा न होने दें। घर की छत पर या बालकनी में यदि खाली पड़े डिब्बे या फिर पुराने टायर आदि में पानी भरा हो तो उसे साफ कर दें। बरसात के मौसम में कूलर में पानी का प्रयोग करने से बचें और यदि करें तो तीन से चार दिन बाद कूलर को साफ करते रहें। फ्रिज की ट्रे में भरे पानी को निकाल दें।
इस मौके पर जिला मलेरिया अधिकारी सतेंद्र कुमार ने बताया डेंगू के लिए जिम्मेदार एडीज मच्छर साफ पानी में पैदा होता है। कूलर और फ्रिज की ट्रे के अलावा गमले आदि डेंगू के मच्छर के लिए बहुत ही उपयुक्त स्थान हैं। इसलिए ऐसी जगहों पर नियमित रूप से साफ-सफाई करते रहें। बरसात का पानी यदि घर के आसपास जमा हो रहा हो तो उसमें या तो ब्लीचिंग पाउडर डाल दें, अन्यथा विभाग को इसकी सूचना दें। सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें और बच्चों को सुबह और शाम के समय पूरे कपड़े पहनाएं। यदि किसी को बुखार आता है तो नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर चिकित्सक से परामर्श लें। चिकित्सक से परामर्श के बिना दवा न खाएं।
इस मौके पर क्षय रोग विभाग की ओर से जिला पीपीएम कोआॅर्डिनेटर सुशील चौधरी ने बताया कि दस्तक अभियान के दौरान टीबी रोगी भी खोजे जाएंगे। अभियान के लिए स्वास्थ्य विभाग की आठ सौ टीम घर-घर जाएंगी और बुखार के मरीजों को लेकर सर्वे करेंगी और उपचार भी उपलब्ध कराएंगी। इसी के साथ टीम क्षय रोगियों को खोजने के लिए भी कुछ सवाल पूछेंगी। उन्होंने ग्राम प्रधानों से अपील की है कि सर्वे के लिए पहुंचने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को सही जानकारी देने के लिए ग्रामीणों को प्रेरित करें। यदि किसी को दो सप्ताह से अधिक खांसी, थकान, बुखार, खांसते समय बलगम या खून आने की शिकायत है या वजन कम हो रहा है तो यह टीबी के लक्षण हो सकते हैं। टीम को ऐसे लक्षणों की जानकारी दें। क्षय रोग विभाग टीबी की निशुल्क जांच और उपचार उपलब्ध कराता है। छह माह तक नियमित रूप से दवा खाने पर टीबी पूरी तरह ठीक हो जाती है। फेफड़ों की टीबी नाक और मुंह से निकलने वाले ड्रॉपलेट के जरिए फैलती है लेकिन समय से उपचार शुरू होने पर घर के अन्य सदस्यों को संक्रमण का खतरा काफी कम हो जाता है। इसलिए शक होने पर तत्काल जांच कराएं। कार्यक्रम में यूनिसेफ की ओर से फिरोज अहमद मौजूद रहे।