नई दिल्ली। ज्येष्ठ मास को धर्म कर्म की दृष्टि से विशेष माना गया है। पंचांग के अनुसार 24 जून 2021 गुरुवार को ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इसी तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के व्रत के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत और दान-पुण्य करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह ज्येष्ठ मास की अंतिम तिथि होती है। इसके बाद आषाढ़ महीना लग जाता है।
शुभ मुहूर्त-
कल यानी 24 जून 2021, दिन गुरुवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 25 जून की रात 12 बजकर 09 मिनट तक पूर्णिमा रहेगी, उसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जाएगी। पूर्णिमा के दिन सूर्योदय सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर और सूर्यास्त शाम 06 बजकर 42 मिनट पर होना है। चंद्रोदय शाम 06 बजकर 27 मिनट पर और चंद्रास्त नहीं होना है।
पूजा-पाठ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है और कुंडली में चंद्रमा की शुभता में वृद्धि होती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है। सुबह स्नान आदि से निवृत होकर व्रत का संकल्प लें। इस साल कोरोनावायरस से बचाव के लिए घर में रहना ही बेहतर है। आप नहाने के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करें। इस दिन विधि- विधान से हनुमान जी की पूजा करें। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व होता है। रात के वक्त चंद्रमा की पूजा का भी विधान है। पूर्णिमा का व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है।
ज्येष्ठ मास का समापन
पूर्णिमा की तिथि को ज्येष्ठ मास का समापन होगा। इस मास में निर्जला, अचला एकादशी, गंगा दशहरा, वट सावित्री पूजा, शनि जयंती जैसे पर्व और व्रत मनाए जाते हैं। पूर्णिमा की तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत, संत कबीर जयंती, रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस मनाया जाता ।