गाजियाबाद। शास्त्री नगर में एसके-114 (डायमंड पैलेस के सामने ) दो दिवसीय आयोजन के तहत स्वामी भास्करानन्द वैदिक क्योर सेन्टर के नवनिर्मित भवन के उद्घाटन के अवसर पर आयोजित आध्यात्मिक एवं आयुर्वेदिक सेमिनार का आरम्भ विद्या की देवी मां सरस्वती एवं आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वन्दना से हुआ । मुख्य अतिथि विश्व प्रसिद्ध नाड़ी परीक्षक देहरादून निवासी स्वामी भास्करानन्द व विशिष्ट अतिथि जयपुर निवासी तपस्वी चैतन्य गुरु का स्वागत डा. जया चौधरी, नितिन शर्मा, पूर्व जीएम- एल्ट सेंटर एम.के. सेठ व वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार शर्मा ने माल्यार्पण और शॉल ओढा कर किया।
तपस्वी चैतन्य गुरु ने अपने सम्बोधन में कहा कि सभी का खानपान, दिनचर्या और जीवन शैली बहुत ही अस्त-व्यस्त हो गई है । यही एक सबसे बडा कारण है मानसिक, आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ करने के लिए। इस आधुनिकता की दौड में इन्सान को ये भी याद नहीं रहता कि उसने कब खाया, क्या खाया और ना ही समय पर सोना और ना ही समय पर उठना । किसी काम का कोई निश्चित समय नहीं है। अत: हमें स्वस्थ रहने के लिए अपनी जीवन शैली, अपनी दिनचर्या और अपनी आदतों को बदलना पडेगा। इसके अतिरिक्त प्रकृति से निकटता बनानी पडेगी । उसके लिए प्राकृतिक चिकित्सा सरल उपाय है। परन्तु इस प्रक्रिया से भी हम तभी स्वस्थ रह सकते हैं जब हम अपनी जीवन शैली और दिनचर्या को प्रकृति के अनुसार ही रखें, दोबारा से अपनी पुरानी दिनचर्या को आरम्भ ना करें।
स्वामी भास्करानन्द ने अपने सम्बोधन में कहा कि हम अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए हमेशा भागदौड में लगे रहते हैं । जबकि संसार से विदा होने के समय हम एक तिनका भी अपने साथ नहीं ले जा सकते हैं। सम्पूर्ण जीवन बस भ्रम में व्यतीत कर देते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की नजर में धर्म की व्याख्या भिन्न-भिन्न रुप में आधारित है ,परन्तु जो कार्य कल्याणकारी हो ,जिसमें किसी का कल्याण हो ,वही असली धर्म है । जैसे एक व्यक्ति अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कार्य करता है ,यह कार्य उसके परिवार के लिए कल्याणकारी है तो यह उसका धर्म भी है। उन्होंने अक्षर को ब्रह्म बताया और कहा कि जैसे कोई ओम, कोई प्रणव या किसी और अक्षर का जाप करता है, इसमें अक्षर का अर्थ है जो कभी क्षय ना हो जिसका अन्त ना हो वही ब्रह्म है। आध्यात्म का अर्थ है स्वभाव ,स्व का अर्थ है अपना और भाव का अर्थ है अस्मिता, जिसका अर्थ है अपना भाव यही आध्यात्म है। ये पंचभूत पांच तत्वों से बना शरीर रुपी गाडी या मकान है जो तीन गुणों से चलता है । वह तीन गुण है , सतोगुण, तमोगुण और रजोगुण। इसमें जीव आत्मा का निवास है और जीवात्मा का सम्बंध परमात्मा से है। स्वामी जी की बातों का सार यही था कि शरीर और शरीर के अन्दर जो भी है उनमें से कुछ भी हमारा नहीं है। फिर भी हम यही दावा करते हैं कि जो कर रहे हैं हम ही कर रहे हैं ,जबकि सब कुछ करने वाली प्रकृति ही है। कार्यक्रम के मध्य स्. हरी सिंह, ग्रीनमैन विजयपाल बघेल, संचार रत्न एम .के. सेठ,आरती डंग और बबीता गर्ग ने जिज्ञासावश कुछ प्रश्न भी पूछे जिनका स्वामी जी ने शंका निवारण भी किया। कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उद्यमी एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर संचालक-कैलाश, अधीक्षक जीएसटी नोएडा एक्युप्रेशर के विशेषज्ञ डा. आर. पी.पुष्कर, पूर्व मुख्य महाप्रबंधक बीएसएनएल संचार रत्न एम. के. सेठ, प्रख्यात ग्रीनमैन विजयपाल बघेल, वरिष्ठ पत्रकार सुशील कुमार शर्मा, योग एवं नैचुरोपैथी विशेषज्ञ डॉ. पी. के. वर्मा, अखिल भारतीय ध्यान योग संस्थान के महामंत्री एवं राज्य सभा सांसद के प्रतिनिधि देवेन्द्र हितकारी, ग्रैंड मास्टर रेकी हीलर डॉ.अजय कुमार, उर्मिला देवी चैरिटेबल ट्रस्ट के संस्थापक माया प्रकाश त्यागी, किड़्जी प्लेवे स्कूल की संस्थापक एवं प्रिंसिपल / एमडी – राणा प्रताप स्कूल पूनम सिसौदिया, होम्योपैथिक चिकित्सक-डॉ राजेश कंसल,एडवोकेट टैक्स और जीएसटी- प्रवीण कुमार भी उपस्थित थे। डॉ. राजीव विश्नोई ने स्वामी भास्करानन्द वैदिक क्योर सेन्टर में प्राप्त होने वाली सुविधाओं का विवरण दिया। यह प्राकृतिक चिकित्सा व आयुर्वेद चिकित्सा केन्द्र है। मंच संचालन योगाचार्य अर्चना शर्मा और बबीता गर्ग ने किया। सरस्वती वन्दना छवी शर्मा ने प्रस्तुत की। पुष्पांजलि व आरती डंग ने कार्यक्रम में निरीक्षणकर्ता के कार्य को बखूबी सम्भाला। भोजन-प्रसाद की व्यवस्था शोभा बंसल, रजनी चौधरी, मीनू गोयल, मीनाक्षी और ममता अग्रवाल ने सम्भाली। जे. पी. सिंह ने अतिथियों और आने वाले सभी गणमान्य व्यक्तियों की अगवानी की। कार्यक्रम के अन्त में स्वामी भास्करानन्द की सुपुत्री एवं केन्द्र की संचालिका डॉ. जया चौधरी ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किया तथा सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि इस स्वामी भास्करानन्द वैदिक क्योर सेन्टर में-प्राकृतिक चिकित्सा, आयुर्वेद, अरोमा थैरेपी, माइक्रो करंट थैरेपी, पंचकर्म थैरेपी एक्युप्रेशर,योग,रेकी,फाइटोथैरेपी, सुजौक आदि की सुविधाएं उपलब्ध हैं।अत: इन प्राचीन विधाओं के साथ अपनी दिनचर्या को थोड़ा सा बदलकर कर अपने जीवन को स्वस्थ ,सहज और सरल बनाया जा सकता है। नाड़ी परीक्षण में लगभग 75 पुरूषों और महिलाओं ने स्वामी भास्करानन्द से नाड़ी परीक्षण कराया। इसमे गाजियाबाद के अतिरिक्त जयपुर, फरीदाबाद, करनाल, नोएडा, दिल्ली और बिहार के विभिन्न शहरों से भी मरीज आये।