- स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान के अंतर्गत 28 फरवरी तक घर- घर खोजे जाएंगे कुष्ठ रोगी
- जिले में कुष्ठ रोग के प्रति जागरूकता के लिए 13 फरवरी तक होगा गतिविधियों का आयोजन
हापुड़। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील कुमार त्यागी के नेतृत्व सोमवार को कुष्ठ रोग निवारण दिवस (एंटी लेप्रोसी डे) मनाया गया। सीएमओ ने कुष्ठ आश्रम पहुंचकर रोगियों की हौसला अफजाई करने के साथ ही एमसीआर चप्पल, बीटाडीन और सेवलॉन के साथ ही सर्दी से बचाव के लिए कंबल आदि उपलब्ध कराए। डा. त्यागी ने कुष्ठ रोगियों को स्वस्थ रहने के लिए जरूरी एहतियात के बारे में विस्तार से बताया और दवा आदि की कोई समस्या होने पर सीधे अवगत कराने के लिए कहा। उन्होंने बताया – जिले को कुष्ठ रोग मुक्त बनाने के लिए सघन कुष्ठ रोगी खोज अभियान (एसीएफ) शुरू किया गया है जो 28 फरवरी तक चलेगा।
सीएमओ ने बताया कि जिले में इस समय 68 कुष्ठ रोगियों का उपचार चल रहा है। उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग कोई अभिशाप नहीं है। यह वंशानुगत भी नहीं होता। यह जीवाणु के कारण होने वाली एक बीमारी है जो समय से उपचार शुरू होने पर पूरी तरह ठीक हो जाती है। छूने से यह रोग नहीं फैलता। इस मिथक को तोड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग हर वर्ष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान चलाता है। एक माह तक चलने वाले इस अभियान के तहत पहले पखवाड़े में 13 फरवरी तक जागरूकता के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाएंगी। इन गतिविधियों के जरिए कुष्ठ रोग को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों पर प्रहार करने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए स्कूलों, ग्रामों एवं अलग-अलग स्थानों पर गोष्ठियां आयोजित की जाएंगी।
डा. सुनील त्यागी ने बताया कि कुष्ठ रोगियों को खोजने के लिए शुरू किया गया एसीएफ 28 फरवरी तक चलाया जाएगा। अभियान के तहत घर – घर जाकर कुष्ठ रोगियों को खोजा जाएगा। एसीएफ के लिए 569 टीम गठित की गई हैं, जो लोगों को कुष्ठ रोग के शुरूआती लक्षणों के बारे में बताएंगी और मिलते – जुलते लक्षण वाले व्यक्तियों को स्क्रीनिंग के ?लिए स्वास्थ्य केंद्र पर भेजेंगी। जांच में कुष्ठ रोग की पुष्टि होने पर तत्कार उपचार शुरू कराया जाएगा। एसीएफ टीम उन क्षेत्रों पर विशेष रूप से फोकस करेंगी जहां पिछले तीन वर्षों में कुष्ठ रोगी मिले हैं।
कुष्ठ रोग के लक्षण
जोड़ों में दर्द।
त्वचा पर चकत्ते।
स्पर्श कम महसूस होना।
चुभन महसूस न होना।
तापमान महसूस न होना।
हाथ पैर सुन्न होना।
त्वचा पर गांठ या घाव होना।
घाव में दर्द न होना।