लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि एक छात्र के लिए अपना लक्ष्य तय करना और उसके अनुरूप ईमानदारी से मेहनत तथा प्रयास करना आवश्यक है। हमें कभी भी विचलित नहीं होना चाहिए और बार-बार अपना मार्ग भी नहीं बदलना चाहिए। जब कोई व्यक्ति ईमानदारी, निष्ठा व मेहनत से कार्य करता है तो उसे तनाव नहीं होता है और सफलता अवश्य मिलती है।
मुख्यमंत्री यहाँ अपने सरकारी आवास पर संसद भारत दर्शन कार्यक्रम के अंतर्गत हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश से प्रदेश भ्रमण के लिए आयी छात्राओं से संवाद कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि संसद भारत दर्शन कार्यक्रम केंद्रीय सूचना और प्रसारण तथा युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर की अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए की गई एक पहल है। इस कार्यक्रम के माध्यम से मेधावी विद्यार्थियों तथा विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले युवाओं को भारत के विभिन्न क्षेत्रों का शैक्षणिक भ्रमण कराया जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी चुनौती हमारे सामने उपलब्धियां प्राप्त करने का अवसर लेकर आती है। अगर चुनौतियां न हो तो उपलब्धियाँ प्राप्त करने के अवसर भी समाप्त हो जाते हैं। परिणाम पक्ष में भी आता है और पक्ष में नहीं भी आता है। दोनों ही परिस्थितियों में हमें समभाव रखना चाहिए। परिणाम को अनुकूल बनाने के लिए परिश्रम करना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा की सभी छात्राओं को उत्तर प्रदेश विधानभवन, चिड़ियाघर तथा लखनऊ मेट्रो का भ्रमण कराया जाए। लखनऊ का चिड़ियाघर मनोरंजन का माध्यम तो है ही, साथ ही इससे हमें यह भी ज्ञान प्राप्त होता है कि जीवन चक्र के लिए मनुष्य के साथ-साथ सभी जीव-जंतुओं का अस्तित्व आवश्यक है। सभी छात्राओं को इसकी प्रेरणा लखनऊ चिड़ियाघर से मिलेंगी। लखनऊ मेट्रो आधुनिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा है। उत्तर प्रदेश का विधानमण्डल द्विसदनीय है। इसमें विधान परिषद तथा विधानसभा गठित हैं। विधानसभा में जनता से चुने हुए 403 प्रतिनिधि है, जबकि विधान परिषद में अलग-अलग वर्गों से चुने हुए 100 प्रतिनिधि आते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वाराणसी दुनिया की सबसे प्राचीन नगरी है। महात्मा बुद्ध ने वाराणसी के सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था। लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी तथा पौराणिक व ऐतिहासिक शहर है। यह भी एक प्राचीन नगरी है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण जी के नाम पर यह नगर बसा। अयोध्या तथा काशी हजारों वर्षों से भारत की विरासत को समेटे हुए है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2017 से विकास के अनेक कार्य हुए हैं। आज प्रदेश में सुदृढ़ कानून व्यवस्था है। प्रदेश में सभी बेटियां सुरक्षित हैं। विगत 06 वर्षों में प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ है। यहाँ सभी को सुरक्षा की गारंटी दी जा रही है। विकास लोगों के एजेंड जीवन का एजेंडा बना है। प्रदेश में हर व्यक्ति विकास के बारे में सोच रहा है। इससे लोगों के जीवन में खुशहाली आयी है। 2017 में सत्ता की बागडोर सम्भालते समय उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश के परसेप्शन को बदलने की थी। इसके लिए मिशन मोड में कार्य किए गए। आज उत्तर प्रदेश के सभी 75 जनपदों में ह्यएक जनपद एक उत्पाद योजनाह्ण के तहत उनके विशिष्ट उत्पाद है। इसने उत्तर प्रदेश को निर्यात का हब बनाया है तथा रोजगार की व्यापक सम्भावनाएं साकार की हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक योगी हो, संन्यासी हो अथवा कोई सामान्य नागरिक वह सार्वजनिक जीवन में सेवा के लिए आता है। धर्म के मार्ग में पहला सत्य सेवा है। लोक कल्याण का मार्ग सेवा का मार्ग है और सेवा का मार्ग ही लोक कल्याण का मार्ग है। सेवा, स्वच्छता तथा शिक्षा से जुड़कर हम अपने जीवन को अच्छा बनाने का प्रयास करें। किसी भी कार्य में कमी निकालने के बजाय उस कार्य से हासिल हो सकने वाली उपलब्धियों को देखना चाहिए। यह सकारात्मकता अध्यात्म के मार्ग को प्रशस्त करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी बच्चे अथवा युवा के सबसे बड़े हितैषी उसके माता-पिता होते हैं। वे आप के बारे में गलत नहीं सोचते हैं। हो सकता है कि आपके माता-पिता ने आपसे कम पढ़ाई की हो, लेकिन उनका अनुभव आपसे ज्यादा है। हमें उनका अनादर कभी नहीं करना चाहिए। जीवन में मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। मेहनत से कभी भागना मत। किसी भी समस्या के समाधान के लिए दो विकल्प हो सकते हैं। पहला, पूरी ईमानदारी के साथ समस्या का समाधान निकालने के लिए प्रयास किया जाए। यह आपको यशस्वी बनाएगा। दूसरा, अगर आपको समस्या से भागना है, तो उसके लिए आपके पास बहाने भी होंगे, जो आपके कैरियर के लिए नुकसानदायक होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने अमृत महोत्सव के अवसर पर पंचप्रण की बात की है, जिसमें गुलामी के अंश से मुक्ति, विरासत का सम्मान करना तथा नागरिकों का कर्तव्य शामिल हैं। किसी भी व्यक्ति, समाज अथवा राष्ट्र को अपने पूर्वजों तथा परंपरा पर गौरव की अनुभूति तथा विरासत के प्रति सम्मान की भावना रखनी चाहिए।