- सीएम योगी ने संकल्प पत्र के बिन्दुओं पर कैबिनेट के साथ की बैठक
- सौ दिनों के बाद जनता के सामने प्रदेश के प्रत्येक विभाग को अपने कार्योँ का विवरण देना होगा
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोक कल्याण संकल्प पत्र-2022 के अधिकतर संकल्पों को 2 वर्ष में पूरा करने का प्रयास किया जाए। विभागीय प्रस्तुतीकरण में लोक कल्याण संकल्प पत्र के बिन्दुओं का समावेश हो। प्रत्येक विभाग की योजनाओं में रोजगार सृजन की व्यापक सम्भावनाएं हैं, इसलिए विभागीय प्रस्तुतीकरण में रोजगार पर फोकस होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनहित की योजनाओं के लिए धनराशि की कमी नहीं होने दी जाएगी। योजनाओं के क्रियान्वयन में बेहतर वित्तीय प्रबन्धन पर ध्यान दिया जाए तथा आवश्यक मितव्ययिता बरती जाए। उन्होंने कहा कि 100 दिनों के बाद जनता के सामने प्रदेश के प्रत्येक विभाग को अपने कार्यों का विवरण प्रस्तुत करना होगा।
मुख्यमंत्री शास्त्री भवन में कृषि उत्पादन सेक्टर के प्रस्तुतीकरण के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। कृषि उत्पादन सेक्टर के प्रस्तुतीकरण के अन्तर्गत कृषि, कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण, गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग, पशुधन, दुग्ध विकास, मत्स्य, रेशम विकास, सिंचाई एवं जल संसाधन तथा सहकारिता विभागों द्वारा प्रस्तुतीकरण दिए गए।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि बाढ़ नियंत्रण के कार्यों को प्रत्येक दशा में 15 जून तक पूर्ण कर लिया जाए। पुराने तटबन्धों की मरम्मत, रख-रखाव तथा नदी तट के कटाव के संवेदनशील क्षेत्र में बचाव सम्बन्धी आवश्यक उपाय समय से कर लिए जाएं। उन्होंने कहा कि नदियों का चैनलाइजेशन बाढ़ नियंत्रण का प्रभावी उपाय है। इससे बाढ़ नियंत्रण में सहायता तो मिलती ही है, साथ ही चैनलाइजेशन की प्रक्रिया में निकलने वाली रेत की नीलामी से इस कार्य में होने वाले व्यय की प्रतिपूर्ति भी हो जाती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार कृषकों की आय में गुणात्मक वृद्धि करने के लिए संकल्पित है। 5 वर्ष के भीतर प्रदेश में ऐसा परिवेश तैयार किया जाए, जहां पर्यावरण संवेदनशील कृषि व्यवस्था हो। खाद्यान्न एवं पोषण की सुरक्षा हो। आधुनिक कृषि तकनीक एवं पारम्परिक कृषि विज्ञान का अपेक्षित उपयोग किया जाना चाहिए। कृषि शिक्षा और कृषि अनुसंधान को कृषकोन्मुखी और जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश की बढ़ती आबादी के लिए खाद्य तेलों की जरूरत के सापेक्ष अभी केवल 30 से 35 प्रतिशत तिलहन तथा 40 से 45 प्रतिशत दलहन का उत्पादन हो रहा है। इनकी मांग के अनुरूप उत्पादन तक लाने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई जाए। उन्होंने कहा कि दलहन एवं तिलहन के उत्पादन में लघु एवं सीमान्त किसानों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र को सेंटर आॅफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जाए। कृषि विज्ञान केन्द्रों के पास पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर है। प्रत्येक कृषि विज्ञान केन्द्र में कोई न कोई प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की जानी चाहिए। इससे स्थानीय किसान लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि नहरों तथा रजवाहों की टेल तक पानी पहुंच सके, इसके लिए प्रभावी प्रयास सुनिश्चित किए जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल बीमा योजना के सर्वेक्षण का सरलीकरण किया जाना चाहिए। किसानों को इस सम्बन्ध में जागरूक किया जाए। गंगा जी के किनारे के जनपदों में प्राकृतिक खेती की परियोजना को प्रोत्साहित किया जाए। विकास खंड स्तर पर 500-1000 हेक्टेयर क्षेत्रफल के क्लस्टर का गठन किया जाए। हर क्लस्टर में एक चैम्पियन फार्मर, एक सीनियर लोकल रिसोर्स पर्सन, 2 लोकल रिसोर्स पर्सन, 10 कम्युनिटी रिसोर्स पर्सन का चयन किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में किसानों के नाम मिस मैच होने की समस्या आ रही है। ऐसे में अभियान चलाकर डाटा सुधार किया जाए। अपात्र किसानों से वसूली भी की जाए। उन्होंने आगामी 31 मई तक कृषकों की ई-केवाईसी कार्यवाही को पूर्ण करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रत्येक जनपद में निर्यात की जा सकने वाली उपज का चिन्हीकरण करें। यह योजना ओडीओपी की तर्ज पर लागू की जा सकती है। एक्सप्रेस-वे के किनारे जमीन चिन्हित कर नई मंडियों की स्थापना की कार्यवाही की जाए। उन्होंने पीपीपी मॉडल पर मंडियों में प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना की नीति तैयार करने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत 5 वर्ष में 1,69,153 करोड़ रुपए का गन्ना मूल्य भुगतान कर नवीन कीर्तिमान बनाया गया है। आगामी 100 दिनों में 8,000 करोड़ रुपए गन्ना मूल्य भुगतान के लक्ष्य के साथ प्रयास किए जाएं। 6 माह में यह लक्ष्य 12,000 करोड़ रुपए किया जाना चाहिए। प्रदेश सरकार किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान 14 दिनों के भीतर कराने के लिए संकल्पबद्ध हैं। इसके लिए सभी जरूरी प्रयास किए जाएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले 5 वर्ष में गन्ने की उत्पादकता वर्तमान के 81.5 हेक्टेयर से बढ़ाकर 84 टन प्रति हेक्टेयर करने के लक्ष्य के साथ कार्यवाही की जाए। उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2017 के अन्तर्गत स्वीकृत इकाइयों को अनुदान का अन्तरण अगले 100 दिन में कर दिया जाए। जनपद कौशाम्बी तथा चन्दौली में इजरायल तकनीक पर आधारित सेण्टर आॅफ एक्सीलेंस फॉर फ्रूट एण्ड वेजिटेबल की स्थापना का काम शुरू किया जाए।
पशु स्वास्थ्य एवं पशु कल्याण को बढ़ावा देने के साथ ही पशुधन से प्राप्त होने वाले उत्पादों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि की जानी चाहिए। यह रोजगार सृजन और किसानों की आय वृद्धि में भी सहायक है। निराश्रित गो-आश्रय स्थलों को स्वावलम्बी बनाने के लिए अगले 100 दिनों में गो-अभ्यारण्य की स्थापना की जाए। अगले 100 दिन में पंचायतीराज विभाग एवं नगर विकास विभाग से समन्वय कर 50,000 निराश्रित गोवंश को आश्रय दिलाया जाए। छह माह के भीतर 1,00,000 निराश्रित गोवंश के लिए व्यवस्थित आश्रय स्थल तैयार कराए जाएं।
अपर मुख्य सचिव कृषि देवेश चतुर्वेदी ने कृषि, कृषि विपणन एवं विदेश व्यापार, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग, अपर मुख्य सचिव उद्यान एमवीएस रामी रेड्डी ने उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग, अपर मुख्य सचिव गन्ना विकास संजय भूसरेड्डी ने गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग, अपर मुख्य सचिव रेशम विकास नवनीत सहगल ने रेशम विकास विभाग, प्रमुख सचिव दुग्ध विकास सुधीर गर्ग ने पशुधन, दुग्ध विकास एवं मत्स्य विभाग, प्रमुख सचिव सिंचाई एवं जल संसाधन अनिल गर्ग ने सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग तथा प्रमुख सचिव सहकारिता बीएल मीणा ने सहकारिता विभाग के सम्बन्ध में प्रस्तुतीकरण दिए।
इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक सहित मंत्रिमंडल के सदस्य, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।