- संचारी रोग नियंत्रण माह में 12 से 25 जुलाई तक चलेगा दस्तक अभियान
- पहले सप्ताह में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का होगा प्रशिक्षण
हापुड़। कोरोना के दूसरी लहर पर काबू पा लिया गया है। जनपद में सक्रिय केस घटकर 25 रह गए हैं लेकिन तीसरी लहर के खतरे और मच्छर जनित रोगों के सिर उठाने का समय आ गया है इसलिए स्वास्थ्य विभाग लगातार सतर्कता बनाए हुए है। शासन के निर्देश पर लगातार जागरूकता और निगरानी को लेकर अभियान चलाए जा रहे हैं। इसी क्रम में जुलाई माह को संचारी रोग नियंत्रण माह के रूप से मनाते हुए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। इसी बीच 12 से 25 जुलाई तक दस्तक अभियान चलाया जाएगा। दस्तक अभियान के दौरान आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाएंगी और लोगों को रोगों से बचाव के प्रति जागरूक करेंगी। इसके साथ ही लक्षण के आधार पर कोविड, बुखार और टीबी के मरीजों का ढूंढने का काम करेंगी ताकि समय रहते उनका उपचार शुरू कराया जा सके।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. रेखा शर्मा ने बताया कि संचारी रोग नियंत्रण अभियान के अंतर्गत 12 जुलाई से 25 जुलाई तक आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के द्वारा घर-घर जाकर कोविड, बुखार और टीबी से संबंधित रोगों की जानकारी प्राप्त की जाएगी। एक पखवाड़े तक घर-घर चलने वाले इस अभियान को दस्तक अभियान का नाम दिया गया है। आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता इस दौरान लोगों को स्वच्छता और बीमारियों से बचाव के लिए जागरूक करेंगी। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राजेश सिंह ने बताया अभियान में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका होगी। घर-घर जाकर उन्हें कैसे बात करनी है और कैसे लक्षणों की पहचान करनी है इसके लिए जुलाई के पहले सप्ताह में ब्लॉक स्तर पर उन्हें प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिला कार्यक्रम समन्वयक दीपक शर्मा ने बताया कि संभावित टीबी रोगियों की खोज करने के लिए अभियान में शामिल टीम यह पता करेंगी कि किसी को दो सप्ताह से अधिक खांसी या बुखार तो नहीं है। इसके अलावा लगातार वजन घटने और भूख न लगने की शिकायत तो नहीं है। रात में सोते समय पसीना तो नहीं आता है। इनमें कोई लक्षण पाने जाने पर टीबी हो सकती है। ऐसे लोगों का स्पुटम लेकर जांच कराई जाएगी और जरूरत होने पर एक्स.रे भी कराया जाएगा। टीबी की पुष्टि होने पर तत्काल टीबी का निशुल्क उपचार शुरू कराया जाएगा। जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी ने बताया कि टीबी की बीमारी से ग्रसित व्यक्ति को भारत सरकार द्वारा छह माह तक चलने वाले इलाज के दौरान 500 रुपए प्रति माह का भुगतान किया जाता है। सरकार यह पैसा मरीज के बेहतर पोषण के लिए प्रदान करती है। दरअसल टीबी होने पर व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो जाती है। ऐसे में बेहतर पोषण जरूरी है। पोषण न मिल पाने पर वह अन्य बीमारियों की चपेट में आ सकता है।