- मास्टर ट्रेनर प्रयोगशाला पर्यवेक्षक ने बताई टीबी उन्मूलन कार्यक्रम की बारी?कियां
- ट्रेनिंग से पहले क्षय रोग विभाग के तीन पर्यवेक्षकों का आगरा में हुआ था प्रशिक्षण
गाजियाबाद। हापुड़ में दस्तोई रोड स्थित जिला क्षय रोग केंद्र पर दो दिवसीय प्रशिक्षण के दूसरे दिन बुधवार को जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राजेश सिंह ने प्रशिक्षण सत्र को संबोधित किया। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने लैब टैक्नीशियन को पूरी लगन और मेहनत के साथ लैब के कार्य करने के लिए प्रेरित करते हुए कहा प्रधानमंत्री ने 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है और हरहाल में प्रधानमंत्री का संकल्प पूरा करना है। जल्दी जांच और उपचार शुरू करके हम ऐसा कर सकते हैं। टीबी के संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए जरूरी है कि आमजन इस बीमारी के प्रति जागरूक हो और बचाव के साथ ही प्रारंभिक लक्षण आने पर ही उपचार शुरू हो सके, ताकि उसके संपर्क में आने वाले अन्य लोगों को संक्रमण से बचाया जा सके।
जिला क्षय रोग केंद्र पर शुरू हुए लैब टैक्नीशियन प्रशिक्षण का बुधवार को दूसरा दिन था। आगरा में 30 नवंबर से चार दिसंबर तक पांच दिवसीय प्रशिक्षण लेकर लौटे प्रयोगशाला पर्यवेक्षक बृजेश कुमार ने लैब टैक्नीशियन को प्रशिक्षण दिया। स्टेट टीबी ट्रेनिंग सेंटर आगरा में पांच दिवसीय प्रशिक्षण में उनके साथ रहे पर्यवेक्षक रामकृष्णा और रामसेवक ने भी प्रशिक्षण में मास्टर ट्रेनर बृजेश कुमार की मदद की। इस मौके पर पीएमडीटी कोर्डिनेटर मनोज कुमार और पीपीएम कोर्डिनेटर सुशील चौधरी भी मौजूद रहे और लैब टेक्नीशियन की हौसला अफजाई की। बता दें कि लैब टैक्नीशियन ही टीबी की जांच के लिए गए स्पुटम की माइक्रोस्पिक और फिर सीबीनॉट मशीन से जांच करते हैं। इसके साथ ही यूनिवर्सल ड्रग सेंसटीविटी टेस्ट (यूडीएसटी) के जरिए यह पता लगाया जाता है कि मरीज कहीं मल्टी ड्रग रेसिस्ट (एमडीआर) तो नहीं है।
जिला पीपीएम कोर्डिनेटर सुशील चौधरी ने बताया टीबी का उपचार बीच में छोड़ देने पर मरीज के ड्रग रेसिस्ट होने का खतरा रहता है। उस स्थिति में टीबी के मरीज पर सामान्य दवा काम नहीं करतीं। हालांकि अब क्षय रोग विभाग के पास ड्रग रेसिस्ट होने के बाद भी टीबी का उपचार करने के लिए विशेष दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन उस स्थिति में उपचार महंगा और लंबा हो जाता है। इसलिए सबसे बेहतर यही है कि एक बार टीबी की दवा शुरू करने के बाद चिकित्सक की सलाह पर दवा खाना बंद करें। बीच में दवा छोड़कर ड्रग रेजीस्टेंस होने से बचें। प्रशिक्षण के दौरान लैब टैक्नीशियन को टीबी के लक्षणों से लेकर जांच और उपचार की विस्तार से जानकारी दी गई।