गाजियाबाद। गर्भकाल के दौरान बड़े-बुजुर्ग महिला को खुश रहने की सलाह यूं नहीं देते, इसका वैज्ञानिक कारण भी है। खुश रहने से अच्छे हार्मोंस उत्पन्न होते हैं। दूसरी ओर मानसिक तनाव कई परेशानियों का कारण इसलिए बन जाता है क्योंकि हार्मोंस का गणित गड़बड़ा जाता है। मानसिक तनाव प्री मेच्योर डिलीवरी का भी कारण बन सकता है। ऐसा कहना है स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ और हापुड़ की मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. रेखा शर्मा का। सीएमओ का कहना है कि मानसिक तनाव के अलावा खानपान की गलत आदतों और जीवन शैली के अलावा प्रीमेच्योर डिलीवरी आनुवंशिक कारणों, उच्च रक्तचाप और संक्रमण के कारण भी हो सकती है।
उन्होंने बताया सामान्यतौर पर गर्भकाल 40 सप्ताह का होता है, और 37 सप्ताह से पहले हुई डिलीवरी को प्रीमेच्योर डिलीवरी कहा जाता है। प्रीमेच्योर डिलीवरी मां और शिशु, दोनों के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। गर्भ में पूरा समय न मिल पाने के कारण शिशु के आंतरिक अंगों का पूरी तरह से विकास नहीं हो पाता है और उसे कई जटिलताओं का सामना करना पड़ता है, कई बार जान को खतरा भी हो जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हर वर्ष 17 नवंबर को ह्लवर्ल्ड प्रीमेच्योरिटी डेह्व के रूप में मनाया जाता है, ताकि समय से पूर्व जन्मे बच्चों की उचित देखभाल के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सके। समय से सचेत होने पर प्रीमेच्योर डिलीवरी से बचा भी जा सकता है। इसके लिए पोषण युक्त खानपान और प्रसव पूर्व जांच काफी मददगार साबित होती हैं। हर माह की नौ तारीख को सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत प्रसव पूर्व जांच की निशुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य समय रहते हाई रिस्क प्रेगनेंसी (एचआरपी) की पहचान करना है।
डा. रेखा शर्मा बताती हैं गर्भ में पल रहा शिशु मां के भोजन से अपना पोषण लेता है, इसलिए मां का खाना पोषणयुक्त और संतुलित होना जरूरी है। ऐसा न होने पर मां के एनीमिक हो जाने से भी प्रीमेच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है। इसी प्रकार गर्भकाल में संक्रमण से बचाव के लिए हाईजीन और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। इसके अलावा गर्भपात, धूम्रपान और मादक पदार्थों का सेवन, मधुमेह और मोटापा भी प्रीमेच्योर डिलीवरी का कारण हो सकता है। नियमित रूप से अपनी डाक्टर के संपर्क में रहें और कोई भी परेशानी होने पर तत्काल डाक्टर से संपर्क करें। प्रीमेच्योर डिलीवरी का कोई भी लक्षण आने पर तत्काल डाक्टर से बात करें और स्वास्थ्य केंद्र पर जाएं।
प्रीमेच्योर डिलीवरी के लक्षण
- योनि से होने वाले स्राव में परिवर्तन आना
- पेट में संकुचन जल्दी-जल्दी महसूस होना
- पेल्विक एरिया में दबाव ज्यादा महसूस होना
- पीठ में हल्का दर्द महसूस होना
- मासिक धर्म की तरह पेट में ऐंठन महसूस होना