नई दिल्ली। हरियाणा की सियासत के बड़े खिलाड़ी पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की सजा पूरी हो गई है। ऐसा दिल्ली सरकार द्वारा 10 साल की सजा वाले कैदियों को मिली छह माह की छूट के कारण हुआ है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने इस बारे में नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। ऐसे में चौटाला अब हरियाणा की राजनीति में उतर सकेंगे। दूसरी ओर चौटाला के साथ ही जेल गए उनके बड़े बेटे अजय चौटाला की सजा के बारे में अभी कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया है।
ओमप्रकाश चौटाला की रिहाई से उनके बड़ेे बेटे अजय सिंह चौटाला और पोते दुष्यंत चौटाला की पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) और इनेलो (INLD) के बीच सियासी टकराव का नया रूप देखने को मिल सकता है। जजपा राज्य में भाजपा के साथ सत्ता में साझीदार है और इनेलाे व भाजपा का पहले गठबंधन रह चुका है।
जननायक जनता पार्टी और इंडियन नेशनल लोकदल के बीच नई सियासत भी शुरू हाेगी। अब तक किसान आंदोलन में कांग्रेस के नेता ही अधिक सक्रिय रहे हैं, लेकिन अब चौटाला के इसमें खुलकर सक्रिय होने के संकेत हैं। कांग्रेस और इनेलो के बीच नजदीकी की कयासबाजी चली थी और अब इस मामले में स्थिति साफ होने की उम्मीद है। किसानाें के आंदोलन के समर्थन में ओमप्रकाश चौटाला के छोटे पुत्र अभय सिंह चौटाला हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन राज्य के किसानों पर अपनी पकड़ के कारण अब इनेलो इसमें अधिक सक्रियता दिखा सकेगा।
मालूम हो कि चौटाला सहित 55 दोषियों पर वर्ष 1999-2000 में राज्य के 18 जिले में हुई 3206 जूनियर बेसिक ट्रेंड (जेबीटी) शिक्षकों की भर्ती में मानदंडों को ताक पर रखकर मनचाहे अभ्यर्थियों की भर्ती करने का आरोप था। सीबीआइ के आरोप पत्र पर सीबीआइ की विशेष अदालत के जज विनोद कुमार ने शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी करार दिए गए 55 लोगों में से ओम प्रकाश चौटाला उनके बड़े बेटे अजय चौटाला और दो आइएएस अधिकारियों समेत 10 लोगों को 10-10 साल की सजा सुनाई थी।
10 साल की सजा पाने वाले बाकी दोषियों में आईएएस अधिकारी संजीव कुमार, चौटाला के पूर्व विशेष अधिकारी विद्याधर और तत्कालीन विधायक शेर सिंह बड़शामी प्रमुख थे। बाकी बचे दोषियों में से एक को 5 साल और शेष को 4 – 4 साल की सजा सुनाई गई थी। फैसला आने के तुरंत बाद चौटाला समेत सभी दोषियों को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल भेज दिया गया था।
सजा सुनाए जाने के समय चौटाला 78 और उनके बेटे अजय चौटाला 51 साल के थे। दोनों की सजा पर जब हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट ने रोक नहीं लगाई तो इन दोनों सहित अन्य दोषियों को भी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था।