पुरी, हिंट समाचार । पुरी जगन्नाथ मंदिर को 25 जुलाई तक भक्तों के लिए बंद रखने का जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की तरफ से निर्णय लिया गया है। कोरोनावायरस के बीच इस साल भी बिना भक्तों के महाप्रभु जगन्नाथ जी की स्नान यात्रा एवं रथयात्रा की विधि संपन्न की जाएगी। इसके लिए पुरी जगन्नाथ मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। भगवान जगन्नाथजी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के लिए प्रतिवर्ष तीन नये रथों का निर्माण होता है जो जगन्नाथ मंदिर के समस्त रीति-नीति के साथ वैशाख मास की अक्षय तृतीया के पावन दिवस से आरंभ होता है।
रथनिर्माण विशेषज्ञों का कहना है
हर साल वसंतपंचमी के दिन से रथनिर्माण के लिए काष्ठ संग्रह का पवित्र कार्य आरंभ होता है। जिस प्रकार पंचतत्वों से मानव-शरीर का निर्माण हुआ है, ठीक उसी प्रकार काष्ठ, धातु, रंग, परिधान तथा सजावट आदि की सामग्रियों से रथों का पूर्णरुपेण निर्माण होता है। रथनिर्माण विशेषज्ञों का मानना है कि तीनों रथ, भगवान जगन्नाथ जी का रथ नंदीघोष रथ, बलभद्रजी का तालध्वज रथ, सुभद्राजी का देवदलन रथ का निर्माण पूरी तरह से वैज्ञानिक तरीके से होता है। रथ-निर्माण में कुल लगभग 205 प्रकार के सेवायतगण सहयोग करते हैं।
पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यता के आधार पर तीनों ही रथ उस दिन चलते-फिरते मंदिर होते हैं।रथ-यात्रा के क्रम में रथ मानव-शरीर, रथि मानव-आत्मा, सारथी-मानव-बुद्धि, लगाम मानव-मन तथा रथ के घोड़े मानव-इन्द्रीयगण के प्रतीक होते हैं।
रथयात्रा एक सांस्कृतिक महोत्सव
विश्व के एकमात्र समृद्ध संस्कृति संपन्न देश भारत ही है, जहां के ओडिशा राज्य के पुरी धाम में अनादिकाल से विराजमान हैं श्री जगन्नाथजी। वे कलियुग के एकमात्र पूर्ण दारुब्रह्म भी हैं। वे विश्व को शांति, एकता तथा मैत्री का पावन संदेश देते हैं। उनकी प्रतिवर्ष आषाढ शुक्ल द्वितीया को अनुष्ठित होने वाली विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा एक सांस्कृतिक महोत्सव होता है।
वास्तव में वह पतितपावनी यात्रा होती है। वह नव दिवसीय यात्रा होती है। निर्माण की अत्यंत गौरवशाली सुदीर्घ परम्परा है। इस पावन कार्य को वंशानुक्रम से सुनिश्चित बढईगण ही करते हैं। यह कार्य पूर्णतः शास्त्रसम्मत विधि से संपन्न होता है।
रथयात्रा के बाद प्रवेश पर विचार
पुरी जगन्नाथ महाप्रभु की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा संपन्न होने के बाद मंदिर में भक्तों के प्रवेश को लेकर चिंतन किए जाने की बात सोची जाएगी। सभी के साथ चर्चा के बाद यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है। कोरोनावायरस के बीच इस साल भी बिना भक्तों के महाप्रभु जगन्नाथ जी की स्नान यात्रा एवं रथयात्रा की विधि संपन्न की जाएगी। इसके लिए पुरी जगन्नाथ मंदिर में भक्तों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है।
24 जून को होगी स्नान यात्रा
मुख्य प्रशासक ने कहा है कि केवल पालिया सेवकों को लेकर आगामी 24 जून को जगन्नाथ महाप्रभु की स्नान यात्रा नीति संपन्न की जाएगी। 12 जुलाई को महाप्रभु जगन्नाथ जी की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा है ऐसे में इस दौरान किसी भी भक्तों को इसमें शामिल होने की अनुमति नहीं दी जाएगी। बिना भक्तों के रथयात्रा निकालने के लिए राज्य सरकार ने जो निर्देश दिया है उसका सख्ती से अनुपालन किया जाएगा।