- इंडिया गठबंधन बता रहा है अपनी जीत
- जल्द हो सकती भाजपा के नए अध्यक्ष की घोषणा
विशेष संवाददाता
नई दिल्ली। ना ना करते प्यार तुम्ही से कर बैठे। करना था इनकार मगर इकरार तुम्हीं से कर बैठे। केन्द्र में बैठी भाजपा सरकार मजबूरी में अब आरक्षण और जातिगत जनगणना के मामले में जल्द ही यू टर्न ले सकती है। कुछ समय पहले स्पष्ट शब्दों में तल्ख तेवरों के साथ जातिगत जनगणना का विरोध करने वाली भाजपा सरकार अब लगता है मजबूरी में जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में कभी भी कोई फैसला ले सकती है। केन्द्र सरकार की यह मजबूरी जहां एक तरफ अपने सहयोगी दलों की इस बारे में नाराजगी को देखते हुए बन रही है वहीं दूसरी ओर आरएसएस ने मौजूदा परिस्थितियों को भांपते हुए भाजपा को जातिगत जनगणना कराने का ग्रीन सिग्नल दे दिया है। भाजपा और आरएसएस अपने आरक्षण विरोधी कठोर रवैये और जातिगत जनगणना ना कराने के अड़ियल रुख में मजबूर होकर नरमी ला रही है। अभी हाल ही में केरल में हुए आरएसएस के तीन दिवसीय सम्मेलन जिसमें उससे जुड़े 33 संगठनों ने भी भाग लिया उसमें कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर विचार किया गया। अपने हिन्दूवाद की विचारधारा को कायम रखते हुए केन्द्र सरकार को वर्तमान मजबूरियों से कैसे बाहर निकाला जाये इस पर भी विचार हुआ। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नये नाम पर भी इस सम्मेलन में विचार किया गया। बताया जाता है साथ ही इस विषय पर भी गंभीरता से विचार हुआ कि प्रधानमंत्री मोदी के बाद अगला दूसरा चेहरा कौन रखा जाए जो आरएसएस की विचार धारा को मजबूती से लेकर आगे बढ़ सके। आरएसएस के इस सम्मेलन में लिये गए फैसलों पर इंडिया गठबंधन के नेताओं ने इस तरह के यू टर्न को अपनी जीत का जाम पहनाना शुरू कर दिया है। गठबंधन के नेताओं का कहना है कि भाजपा और आरएसएस मजबूरी में उनकी प्राथमिक मांग जातिगत जनगणना और आरक्षण के मामलों में अब अपनी सहमति बना रही है। विरोधी नेता भाजपा के इस यू-टर्न को अपनी जीत बता रहे हैं।