- 27 हजार से अधिक महिलाएं उठा चुकी हैं अभियान का लाभ
- 2585 को ई-रूपी बाऊचर के जरिए मिली अल्ट्रासाउंड सुविधा
- 2784 उच्च जोखिम गर्भावस्था का हुआ चिकित्सकीय प्रबंधन
गाजियाबाद। मातृ एवं शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए चार प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) जरूरी होती हैं। यदि आप गर्भवती हैं और अभी तक जांच नहीं कराई है तो आशा कार्यकर्ता या फिर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर संपर्क करें। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि प्रसव पूर्व जांच की महत्ता को देखते हुए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) का आयोजन हर माह एक, नौ, 16 और 24 तारीख को किया जाता है।
सीएमओ डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि पहली जांच गर्भ ठहरने के आठ सप्ताह के अंदर, दूसरी जांच 14 से 26 सप्ताह के बीच, तीसरी जांच 28 से 34 सप्ताह के बीच और चौथी जांच 36 सप्ताह का समय पूरा होने पर कराने की सलाह दी जाती है। दूसरी और तीसरी तिमाही में सभी गर्भवती को कम से कम एक प्रसव पूर्व जांच सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) शुरू किया गया है। इस वर्ष अप्रैल से अब तक जिले में 27,266 गर्भवती पीएमएसएमए का लाभ उठा चुकी हैं। अभियान के अंतर्गत अप्रैल से अब तक 2585 गर्भवती ई-रूपी बाऊचर के जरिए अल्ट्रासाउंड सुविधा प्राप्त कर चुकी हैं। अभियान का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि स्वास्थ्य विभाग इस समयांतराल में प्रसव पूर्व जांच के बाद 2784 उच्च जोखिम वाली गर्भवस्था का चिकित्सकीय प्रबंधन करने में कामयाब रहा। डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान सरकार का उच्च प्राथमिक वाला कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत अब हर माह चार दिन विशेष आयोजन कर गर्भवती को प्रसव पूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। एक, नौ, 16 और 24 तारीख को सभी ब्लॉक स्तरीय चिकित्सा इकाईयों पर आयोजित पीएमएसएमए दिवस के अलावा सभी जिला स्तरीय चिकित्सालयों में यह सुविधा प्रतिदिन उपलब्ध रहती है। प्रसव पूर्व जांच से प्रसव के समय होने वाली जटिलताओं को पहले से आंकलन कर निदान का प्रयास किया जाता है। अप्रैल, 2023 से अब तक जिले में 2784 उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था का चिकित्सकीय प्रबंधन प्रसव पूर्व जांच के बाद ही किया जाना संभव हुआ है। सीएमओ ने अपील की है कि सभी गर्भवती पीएमएसएमए का लाभ अवश्य उठाएं। डिप्टी सीएमओ (आरसीएच) डा. रविंद्र कुमार ने बताया – सभी आशा कार्यकतार्ओं को अपने – अपने क्षेत्र की गर्भवती को स्वास्थ्य केंद्र पर लाकर अधिक से अधिक प्रसव पूर्व जांच कराने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इससे बड़ा लाभ यह होता है कि उच्च जो?खिम वाली गर्भावस्था की पहचान होने से प्रसव के समय कोई परेशानी न हो, इसकी तैयारी पहले से कर ली जाती है। संबं?धित आशा को भी यह पता होता है कि अमुक गर्भवती को प्रसव पीड़ा होने पर किस स्तर की सुविधाएं उपलब्ध कराने की जरूरत होगी। इसके साथ ही इस कार्यक्रम का उद्देश्य रक्ताल्पता, गर्भावस्था प्रेरित उच्च रक्तचाप और मधुमेह आदि का भी उचित प्रबंधन कर लिया जाता है।