- 2022 में 1594 से बढ़कर 2023 में 2423 पर पहुंच गया पीटीईआर
- 1729 प्रति लाख के आंकड़े के साथ मुजफ्फरनगर दूसरे नंबर पर
गाजियाबाद। बेशक गाजियाबाद जनपद की गिनती अधिक टीबी प्रभावित जिलों में होती है, लेकिन अच्छी बात यह भी है कि टीबी जांच के मामले में भी जनपद आगे बना हुआ है और यह भी सच है कि संक्रामक रोगों पर जांच में तेजी लाकर ही संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सकता है। दरअसल फेफड़ों की टीबी संक्रामक होती है और यह बोलते या खांसते समय रोगी के मुँह से निकलने वाले ड्रॉपलेट के जरिए फैलती है। एक रोगी अपने संपर्क में आने वाले 10 से 15 लोगों को संक्रमित कर सकता है। जल्दी जांच और उपचार से यह संख्या कम की जा सकती है और टीबी मुक्त भारत का संकल्प पूरा करने के लिए यह आवश्यक है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि 2023 में क्षेत्रीय क्षय रोग कार्यक्रम प्रबंधन इकाई (आरटीपीएमयू), बरेली की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक गाजियाबाद जनपद का प्रिजप्टिव टीबी एग्जामिनेशन रेट (पीटीईआर) बढ़कर 2423 पर पहुंच गया है। 2022 के एनुअल प्रिजप्टिव टीबी एग्जामिनेशन रेट की बात करें तो यह गाजियाबाद ने सर्वाधिक 1594 का स्कोर किया था, जबकि लक्ष्य 1506 था। शासन से 2023 के लिए पीटीईआर दो हजार निर्धारित किया गया है। सीएमओ डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि पीटीईआर और नोटिफिकेशन टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के दो महत्वपूर्ण इंडिकेटर हैं। क्षेत्रीय क्षय रोग कार्यक्रम प्रबंधन अधिकारी डॉ. अनिल कुमार चौधरी ने क्षेत्रीय क्षय रोग कार्यक्रम प्रबंधन इकाई, बरेली के अंतर्गत आने वाले सभी 18 जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र भेजकर टीबी नोटिफिकेशन और पीटीईआर बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सभी जिलों का रिपोर्ट कार्ड भी भेजा गया है।
प्रिजप्टिव टीबी एग्जामिनेशन रेट (पीटीईआर) के मामले में जुलाई- 2023 तक 2423 के आंकड़े के साथ पहले नंबर पर गाजियाबाद है। दूसरे नंबर पर मुजफ्फरनगर का पीटीईआर 1729 है। तीसरे नंबर पर हापुड़ जनपद ने 1404 का स्कोर किया है। टीबी नोटिफिकेशन की बात करें तो पहले नंबर पर बरेली जनपद में 16 अगस्त तक 11, 912 और दूसरे नंबर पर गाजियाबाद जनपद में 10, 614 नोटिफिकेशन हुए, जबकि मेरठ जनपद 10,0 79 नोटिफिकेशन के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
सीएमओ डा. भवतोष शंखधर ने बताया कि प्रधानमंत्री के 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए गाजियाबाद जनपद को टीबी मुक्त करना है। इसके लिए टीबी स्क्रीनिंग व जांच और बढ़ाए जाने के प्रयास निरंतर जारी हैं। जल्द ही टीबी और अन्य संक्रामक रोगों के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों में आईएमए के सहयोग से चिकित्सा शिविर आयोजित करने की तैयारी है ताकि समय रहते रोगियों की पहचान और उपचार शुरू किया जा सके। उन्होंने बताया- उपचार शुरू होने के करीब दो माह बाद क्षय रोगी अपने संपर्क में आने वालों को संक्रमण देने की स्थिति में नहीं रहता। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अमित विक्रम ने बताया कि टीबी की जांच के बाद यदि रोग की पुष्टि होती है तो 24 घंटे के अंदर उपचार शुरू कर दिया जाता है। नियमित रूप से दवा खाने पर टीबी का रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है। उन्होंने कहा कि आप यदि किसी एक व्यक्ति में टीबी के लक्षण देखते हैं और उसे जांच के लिए प्रेरित कर टीबी की जल्दी पहचान करने में विभाग की मदद करते हैं तो यह टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य हासिल करने में बड़ा सहयोग होगा। हर सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर टीबी जांच और उपचार की सुविधा उपलब्ध है।