- राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों के दो दिवसीय क्षेत्रीय सम्मेलन का हुआ समापन
- आपदा न्यूनीकरण को लेकर प्रधानमंत्री के दस सूत्रीय एजेंडे पर कार्य कर रही है सरकार
- उपयोगी सिद्ध होगा क्षेत्रीय सम्मेलन
- एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के स्टालों की मुख्यमंत्री ने की सराहना
लखनऊ। इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित हो रहे राज्यों के आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों के क्षेत्रीय सम्मलेन का दूसरा दिन विभिन्न तकनीकी सत्रों एवं नदियों की कटान को रोकने, आपदा न्यूनीकरण को लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा संचालित परियोजनाओं, आपदा शमन के लिए वित्तीय प्राविधानों तथा अर्ली वार्निंग सिस्टम का विकास एवं सशक्तीकरण, जागरूकता कार्यक्रमों एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अन्तर्गत आपदा मित्रों का प्रशिक्षण आदि से आच्छादित रहा।
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने अपने अतिथीय उद्बोधन में कहा कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों का दो दिवसीय तृृतीय सम्मेलन आपदा न्यूनीकरण के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगा।उन्होंने कहा कि हम आपदाओं से निपटने के लिए तैयार हैं परन्तु अभी भी काफी कुछ किया जाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के दस सूत्रीय एजेण्डा को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश सरकार आपदा प्रबंधन के लिए कार्य कर रही है। उन्होंने वर्षों पूर्व हुई जापान की त्रासदी का जिक्र करते हुए कहा कि जापान ने अपनी जिजीविषा के साथ मजूबती से वापसी की और दुनिया में तकनीक एवं विकास के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया। उन्होंने कहा कि आपदा मित्र योजना के माध्यम से हमें गांव-गांव तक पहुंचना है और आपदा प्रबंधन को ग्राम स्तर पर पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार लगातार आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित कर रही है। उन्होंने बताया कि तहसीलों में आटोमैटिक वेदर स्टेशन और प्रदेश के सभी ब्लाकों पर आटोमेटिक रेनगेज लगवाये जाने का कार्य प्रारम्भ किया जा रहा है जिससे अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूती मिलेगी। उन्होंने बताया कि आपदाएं सामुदायों को प्रभावित करने के अलावा व्यक्तिगत क्षतियां भी पहुचाती हैं, इसको ध्यान में रखकर हमें तैयारी करनी होगी। उन्होंने बताया कि अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करने के लिए पांच डॉप्लर रडार खरीदे जा रहे हैं जिससे प्रदेश का कोई भी कोना अब सूचनाओं एवं पूर्व चेतावनियों से वंचित नहीं रहेगा। इस अवसर पर इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई जिसकी सराहना मुख्यमंत्री जी द्वारा की गई। डीआईजी एनडीआरएफ ने कहा कि आपदाओं से निपटने के लिए एनडीआरएफ सदैव तत्पर है। प्रथम सत्र में नदियों के कटान को रोकने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के विशेषज्ञ एकलव्य प्रसाद द्वारा आपदा शमन हेतु राष्ट्रीय एवं राज्यों के लिए प्रबंधन के संसिागत तंत्र, तटीय और नदी के कटाव की चुनौतियों, तटीय एवं नदी के कटान से प्रभावित क्षेत्रों में शमन एवं पुनर्वास के लिए नीति एवं उपायों पुनर्वास योजनाओं के लिए कार्यक्रमों का निर्धारण, निगरानी एवं मूल्यांकन के बारे में विस्तार बताया गया। उन्होंने बताया कि 15वें वित्त आयोग अन्तर्गत आपदा शमन के लिए पन्द्रह सौ करोड़ रूपए तथा पुनर्वास के लिए एक हजार करोड़ रूपए के बजट का प्राविधान किया गया है। उन्होंने कहा कि चूंकि नीति अभी प्रथम चरण में है, इसलिए राज्यों से भी सुझाव आमंत्रित हैं। नेपाल से सटे तराई क्षेत्रों में नदियों के कटान तथा नदियों में जमा होने वाली सिल्ट तथा जल के प्रवाह की गति को नियंत्रित करने के लिए भी सम्बन्धित विभिन्न संस्थाओं के समन्वय से कार्यवाही की जा रही है।
सम्मेलन के दूसरे सत्र में सूखा, लू, आकाशीय विद्युत, शीत लहर, नाव दुर्घटनाएं, डूबने से होने वाली मृत्यु से बचाव कोे लेकर विस्तृत चर्चा की गई। एनडीएमए के सदस्य सचिव कमल किशोर ने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा अगले पांच वर्षों में इन आपदाओं से होने वाली हानियों में पचास प्रतिशत तक कमी लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा सूखा निर्धारण के बिन्दुओं एवं मानकों के बारे में बताया। इसके अतिरिक्त सत्र में विभिन्न प्रकार की आपदाओं जैसे सूखा, वज्रपात, लू, शीतलहर, भू-स्खलन आदि से बचाव एवं उनके न्यूनीकरण हेतु किये गए प्राविधानों से अवगत कराया।
तृतीय सत्र में भूकम्प के दृष्टिगत देश व राज्यों में क्षेत्र की संवेदनशीलता को लेकर चर्चा की गई। आईआईटी मद्रास, नेशनल सेंटर फार सेसानालाजीस पर आईआईटी रूड़की एवं भू विज्ञान विभाग भारत सरकार के विशेषज्ञों ने प्रजेन्टेशन के माध्यम से अवगत कराया गया। प्रो. सीआर मूर्ति आईआईटी मद्रास ने कहा कि जब तक सुरक्षित भवन का निर्माण एवं आम जन भूकम्प से बचाव के उपायों के बारे में जागरूक नहीं होंगे तक इस पर नियंत्रण किया जाना संभव नहीं है।
इसके बाद चौथे सत्र में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एंव जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को सशक्त करने पर चर्चा की गई जिसमें यह सुझाव दिया गया कि आपदा प्रबंधन का स्थाई कॉडर बनाया जाय जिससे आपदा प्रबंधन की चुनौतियों के शमन में सहायता मिले। आपदा मित्रों के प्रशिक्षण पर चर्चा के दौरान बताया गया कि इंडो-गैंन्जेटिक क्षेत्रों में तैंतालीस हजार आपदा मित्रों को प्रशिक्षित किया जाना है। जिसमें से उत्तर प्रदेश के लक्ष्य दस हजार के सापेक्ष पैंतीस सौ आपदा मित्रों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। सम्मेलन के समापन सत्र में राहत आयुक्त उत्तर प्रदेश द्वारा एनडीएमए की पूरी टीम तथा विभिन्न राज्यों एवं संस्थानों से आए हुए प्रतिनिधियों का धन्यवाद ज्ञापित किया तथा आश्वस्त किया कि आने वाले दिनों में प्रदेश सरकार राज्य प्रबंधन प्राधिकरणों, एनडीएमए एवं अन्य संस्थानों से समन्वय बनाकर आपदा न्यूनीकरण के लिए वृहद स्तर पर कार्य करेगी। विभिन्न सत्रों के बाद प्रतिनधि मंडल की टीम द्वारा डॉयल 112 कार्यालय एवं उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कार्यालय का संयुक्त निरीक्षण भी किया गया। इस दौरान प्रमुख सचिव राजस्व सुधीर गर्ग, राहत आयुक्त उत्तर प्रदेश प्रभु नारायण सिंह, राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष ले. जनरल आरपी साही व अन्य वरिष्ठ अधिकारी व जनपदों के आपदा विशेषज्ञ उपस्थित रहे।