लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विचार एवं आचरण में समानता का भाव रखने वाला ही सच्चा धार्मिक व्यक्ति होता है। यही उस व्यक्ति की विश्वसनीयता का आधार भी होता है। इस संदर्भ में मानवता की प्रतिमूर्ति हनुमान प्रसाद ह्यभाई जीह्ण देह रूप में हमारे बीच न उपस्थित रहने के बावजूद अपनी गोलोक यात्रा के 51 वर्ष बाद भी श्रद्धा भाव से प्रासंगिक हैं। भाई जी ने जो कहा, जो लिखा, उसी के अनुरूप अपना जीवन भी जीकर समूचे सनातन धर्मावलंबियों को प्रेरित किया। मुख्यमंत्री ने गीता वाटिका में विश्व प्रसिद्ध धार्मिक पत्रिका कल्याण के आदि संपादक हनुमान प्रसाद भाई जी की 130वीं जयंती के अवसर पर आयोजित श्रद्धा अर्चन कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्म का वास्तविक मर्म क्या होता है, इसे नित्य लीलालीन गृहस्थ संत भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने समझा था। उसी के अनुरूप देश व लोकहित में उनका पूरा जीवन समर्पित रहा। उन्होंने कहा कि भाई जी ने श्रीमद्भगवद्गीता के आदर्शों को लेकर कल्याण के आदि संपादक के रूप में जो मानव कल्याण की, सनातन संस्कृति की सेवा प्रारम्भ की, उसी के अनुसार अपना जीवन भी जिया। वास्तव में उनका पूरा जीवन सनातन धर्म संस्कृति के आदर्शों के प्रति समर्पित रहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सनातन धर्म केवल पूजा-पाठ या उपासना विधि तक सीमित नहीं है। यह मूलत: जीवन पद्धति है, जिसमें समस्त मानव कल्याण, सांसारिक अभ्युदय से लेकर नि:श्रेष्य के साथ भौतिक जीवन में उत्कर्ष से लेकर मोक्ष की प्राप्ति तक की विराटता समाहित है। उन्होंने कहा कि धर्म का अर्थ संपूर्णता के साथ समझना होगा। गीता के अनुसार धर्म छोटे से मार्ग तक सीमित नहीं है। अपने कर्तव्य के प्रति आग्रही व ईमानदार बनकर ही हम धार्मिक कहला सकते हैं, अन्यथा हमें धार्मिक कहलाने का अधिकार नहीं और यह धर्म के साथ न्याय भी नहीं होगा।
इसके उपरान्त मुख्यमंत्री ने हनुमान प्रसाद भाई जी समाधि स्थली जाकर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किये। इस अवसर पर कथावाचक विश्वनाथ भाई कश्यप, अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन सचिव डॉ. बालमुकुंद पांडेय, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु, सिद्धार्थनगर के अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. हरीश कुमार शर्मा, भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के निदेशक शोध एवं प्रशासन डॉ. ओमजी उपाध्याय, हनुमान प्रसाद पोद्दार स्मारक समिति के सचिव उमेश सिंहानिया, संयुक्त सचिव रसेंदु फोगला, न्यासी प्रमोद मातनहेलिया, विष्णु प्रसाद अजितरिया आदि भी उपस्थित रहे।