गाजियाबाद। पर्यावरण योद्धा प्रशांत वत्स की स्मृति में संवर्धन न्यास द्वारा रईसपुर गांव स्थित प्रशांत सरोवर पर वृक्षारोपण किया गया। इस अवसर पर पीपल, बरगद, चंपा आदि के करीब डेढ़ दर्जन पौधे रोपे गए। प्रमुख न्यासी दिनेश दत्त शर्मा ने बताया कि सनातन धर्म का यह मूल विचार है कि आत्मा अमर-अजर है। वह न जन्म लेती है न मरती है। वह अपना रूप बदलती रहती है। कभी स्थूल शरीर के रूप में मौजूद रहती है तो कभी सूक्ष्म शरीर के रूप में अस्तित्व में रहती है। इसी अवधारणा के आधार पर हिंदू समाज अपने पितरों या प्रियजनों को याद करता है और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध अर्पित करता है।
इस अवसर पर प्रख्यात पर्यावरणविद और सेंटर फॉर वॉटर पीस के निदेशक संजय कश्यप ने कहा कि अपने प्रियजनों को याद रखने का इससे बेहतर और कोई तरीका नहीं हो सकता कि परिवार के लोग उनकी स्मृति में पौधे लगाएं और उनकी परवरिश परिवार के बच्चों की तरह करें।
ग्रीन इंडिया आॅर्गेनिक फार्म के संचालक एवं जाने-माने पर्यावरणविद आकाश वशिष्ठ ने संवाद को आगे बढ़ाते हुए कहा कि हमारी संस्कृति में प्रकृति को बहुत सम्मान दिया जाता रहा है। तुलसी, पीपल, बरगद आदि पेड़-पौधों की हम पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। अन्य जीव-जंतुओं के साथ स्वस्थ सामंजस्य स्थापित करते आ रहे हैं। लेकिन पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव में हम अपनी संस्कृति और जीवन मूल्यों से विमुख हुए और उसके भयावह परिणाम अब हमारे सामने हैं। अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान के महासचिव एवं कार्यक्रम के संयोजक प्रवीण कुमार ने कहा कि पूरा विश्व जलवायु परिवर्तन के संकट से जूझ रहा है। ठंडे यूरोप में भयंकर गर्मी पड़ रही है। पिछले पांच सौ सालों के दौरान वहां इतना गर्म मौसम नहीं देखा गया है। कमोबेश यही स्थिति भारत की भी है। देश में कहीं बाढ़ आ रही है तो कहीं सूखा पड़ रहा है। जो तालाब-झीलें बरसात के दिनों में पानी से लबालब भर जाते थे वे सूखे पड़े हैं। पूरा पारिस्थितिकी तंत्र बिगड़ रहा है। समाजसेवी राजीव धीर का मानना है कि पर्यावरण का बहुत नुकसान हो चुका है। अगर राज व समाज अभी भी नहीं चेता तो बहुत देर हो जाएगी। वृक्षारोपण के इस यज्ञ में नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल के अधिवक्ता कौस्तुभ भारद्वाज, तीस हजारी कोर्ट के अधिवक्ता मनीष शर्मा, विनोद त्यागी एडवोकेट, युवा पर्यावरण कार्यकर्ता लवलीन सिंह व लावण्या, संवर्धन न्यास के ध्रुवदत्त शर्मा व अन्य सदस्यों ने अपनी आहूति दी।