- करीब तीन हजार महिलाओं ने आईयूसीडी अपनाई
- 839 ने तिमाही गर्भनिरोधक ह्लअंतराह्व पर किया भरोसा
हापुड़। स्वास्थ्य विभाग की ओर से 20 दिन तक चलाए गए सेवा प्रदायगी जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े के दौरान जिले में अपना परिवार पूरा कर चुकीं कुल 69 महिलाओं ने स्वेच्छा से नसबंदी कराई। इसके अलावा सात पुरुषों ने भी परिवार नियोजन कार्यक्रम में अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए नसबंदी का विकल्प चुना और अन्य पुरुषों के लिए मिसाल पेश की। यह बातें मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. सुनील त्यागी ने कहीं। उन्होंने कहा परिवार नियोजन के मामले में पुरुषों को आगे बढ़कर सहभागिता बढाने की जरूरत है।
परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. प्रवीण शर्मा ने बताया – विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर 11 से 31 जुलाई तक चले जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े में कुल 2907 महिलाओं ने दीर्घ कालिक गर्भनिरोधक के रूप में आईयूसीडी का चुनाव किया। उन्होंने बताया – 2508 महिलाओं ने आईयूसीडी, 397 ने पीपीआईयूसीडी और दो म?हिलाओं ने पीएआईयूसीडी अपनाई। इस विशेष अभियान के दौरान 839 महिलाओं ने तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन ह्लअंतराह्व पर भरोसा जताया और पहली खुराक ली। पहले से ह्लअंतराह्व ले रहीं महिलाओं की संख्या इस आंकड़े में शामिल नहीं है। डा. शर्मा ने कहा ह्लअंतराह्व पूरी तरह सुरक्षित और कारगर गर्भनिरोधक है।
जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ बृजभान यादव ने बताया कि सेवा प्रदायगी जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े के दौरान सबसे अधिक 20 महिला नसबंदी सिंभावली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) पर हुईं। हापुड़ सीएचसी पर 17, गढ़मुक्तेश्वर पर 10, धौलाना सीएचसी पर पांच, पीपीसी पिलखुवा पर पांच और निजी चिकित्सालयों में कुल 12 महिला नसबंदी हुईं। पुरुष नसबंदी हापुड़ सीएचसी पर सबसे अधिक चार, धौलाना सीएचसी पर दो और एक सिंभावली सीएचसी पर हुई। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य केंद्रों पर बॉस्केट आॅफ च्वाइस का प्रदर्शन करते हुए परिवार नियोजन को लेकर काउंसलिंग की गई। इस दौरान एक लाख से अधिक परिवार नियोजन के अस्थाई साधन वितरित किए गए।
परिवार नियोजन में सहभागिता बढ़ाएं, समझदार पुरुष कहलाएं : डा. सुनील गुप्ता
वर्ष 2021 में विश्व जनसंख्या दिवस पर आयोजित जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े के दौरान जनपद में मात्र तीन पुरुष नसबंदी (एनएसवी) ही हो पाई थीं, इस बार जिले में एनएसवी का आंकड़ा सात तक पहुंच गया। आंकड़ों के लिहाज से देखा जाए तो पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दोगुनी से अधिक एनएसवी हुईं। लेकिन जनपद के एकमात्र एनएसवी विशेषज्ञ ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि महिलाओं के मुकाबले परिवार नियोजन में भागीदारी निभाने के मामले में पुरुष बहुत पीछे हैं, जबकि उन्हें महिलाओं से कहीं आगे होना चाहिए। डा. गुप्ता का कहना है कि महिला नसबंदी के मुकाबले पुरुष नसबंदी सरल और छोटी शल्य क्रिया है। इतना ही नहीं एनएसवी ज्यादा कारगर भी है। एनएसवी से किसी प्रकार की शारीरिक कमजोरी भी नहीं आती, और न ही यह वैवाहिक जीवन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डालती, बल्कि चिंता और संशय से भंवर से बाहर ही निकालती है।