- मुख्यमंत्री ने बाघ संरक्षण हेतु अर्न्तसीमावर्ती सहयोग कार्यशाला को किया सम्बोधित
- प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने समय से पूर्व, वर्ष 2018 में ही सेव टाइगर के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया
- रानीपुर, जनपद चित्रकूट में प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बहुत जल्द अस्तित्व में आएगा
- रानीपुर में टाइगर रिजर्व के अस्तित्व में आने से प्रदेश में टाइगर रिजर्व क्षेत्र हो जाएगा 3500 वर्ग किमी. से अधिक
- प्रदेश के सम्पूर्ण वन क्षेत्रफल का 21 प्रतिशत होगा
- वर्ष 2006 में उ.प्र. में बाघों की संख्या 106 थी, जो वर्ष 2018 में बढ़कर 173 हो गयी
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण को लेकर संवेदनशील है। बाघ संरक्षण के क्रम को आगे बढ़ाते हुए जनपद चित्रकूट के रानीपुर में प्रदेश का चौथा टाइगर रिजर्व बनाने का निर्णय लिया जा चुका है। यह टाइगर रिजर्व बहुत जल्द अस्तित्व में आने जा रहा है। राज्य स्तर पर उत्तर प्रदेश में बाघों की संख्या वर्ष 2006 में 106 थी, जो वर्ष 2018 में बढ़कर 173 हो गयी। बाघों की नई गणना के जब परिणाम आयेंगे तो यह संख्या करीब 200 होने का अनुमान है। मुख्यमंत्री अन्तर्राष्ट्रीय बाघ दिवस-2022 के अवसर पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा बाघ संरक्षण हेतु जनपद गोरखपुर में आयोजित अर्न्तसीमावर्ती सहयोग कार्यशाला को वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अपने देश में वर्ष 1973 में बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित करते हुए प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया गया था। वर्ष 2010 में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय महासम्मेलन में वर्ष 2022 तक दुनिया के बाघों की संख्या को दोगुना करने का निर्णय लिया गया था। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत ने समय से पूर्व, वर्ष 2018 में ही सेव टाइगर के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वन और बाघ एक दूसरे के नैसर्गिक संरक्षक हैं। बाघों के बिना वन का आस्तित्व संभव नही है और न ही बिना वन के बाघ रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में पीलीभीत, दुधवा और अमानगढ़ टाइगर रिजर्व के बाद रानीपुर में टाइगर रिजर्व के अस्तित्व में आने से प्रदेश में कुल टाइगर रिजर्व क्षेत्र 3500 वर्ग किलो मीटर से अधिक हो जायेगा जो प्रदेश के सम्पूर्ण वन क्षेत्रफल का 21 प्रतिशत होगा। प्रदेश के वन, पर्यावरण जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि बाघ का होना जंगल के लिए आवश्यक है। प्रदेश में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है। बाघ पारम्परिक रूप से हमारे परिस्थितिकीय तंत्र और संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। बाघों के बचाव, पुनर्वास आदि पर अपनाई जाने वाली मानक संचालन प्रक्रिया हेतु भारत सरकार द्वारा समय समय पर दिशा निर्देश जारी किये गये हैं। उन्होंने कहा कि बाघों के संरक्षण के प्रति जनता को जागरूक करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि गोरखपुर चिड़ियाघर में एक सफेद बाघ आया है और एक और सफेद बाघ एवं दो जेबरा शीघ्र लाये जायेंगे। इस मौके पर प्रदेश के वन, पर्यावरण जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री केपी मलिक तथा अपर मुख्य सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मनोज सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस कार्यशाला में जनप्रतिनिधि, वन्य जीव विशेषज्ञ तथा शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।