- नहीं दिखते एसटीआई के लक्षण, जिला महिला अस्पताल में कराएं निशुल्क जांच
- जल्दी जांच और उपचार कराकर गंभीर बीमारियों के खतरे से करें बचाव
गाजियाबाद। यौन स्वास्थ्य के प्रति महिलाओं को अतिरिक्त सतर्क रहने की जरूरत होती है। दरअसल यौन संचारित संक्रमण यानि एसटीआई से पीड़ित ज्यादातर लोगों में लक्षण दिखाई नहीं देते। मूत्र विसर्जन के समय दर्द हो, यौन संबंध बनाने पर दर्द हो, जननांग के आसपास फुंसी, खुजली, जलन या सिहरन हो अथवा योनि से दुर्गंध वाला स्राव हो तो इसे अनदेखा न करें। जिला महिला चिकित्सालय स्थित सुरक्षा क्लीनिक की नोडल अधिकारी डा. शैफाली बताती हैं कि यह एसटीआई के लक्षण हो सकते हैं। एसटीआई की समय से जांच और उपचार कराकर गंभीर बीमारियों से बचाव किया जा सकता है। उन्होंने बताया बाजार में एसटीआई की जांच कराने में जहां चार से पांच हजार रुपए का खर्च होता है, वहीं जिला महिला चिकित्सालय निशुल्क जांच, काउंसलिंग और उपचार किया जाता है।
डा. शैफाली ने बताया जिला महिला चिकित्सालय में वर्ष 2019 में 14, 258 गर्भवती महिलाओं की जांच हुई, इनमें से 39 महिलाओं को एचआईवी की पुष्टि हुई। वर्ष 2020 में 10,322 में से 36, 2021 में 12,624 में से 26 और वर्ष 2022 में 20 मई तक 6293 में से 16 गर्भवती एचआईवी पॉजिटिव पाई गईं। बड़ी बात यह है कि पिछले पांच वर्षों के दौरान एचआईवी पॉजिटिव मिलीं गर्भवती की जांच, काउंसलिंग और उपचार का असर यह हुआ कि केवल एक शिशु ही एचआईवी पॉजीटिव मिला है। डा. शैफाली ने बताया गर्भवती के एचआईवी पॉजिटिव होने की स्थिति में शिशु जब 18 माह का हो जाता है, आल इंडिया मेडिकल सांइसेज (एम्स) में उसकी जांच कराई जाती है। एम्स की रिपोर्ट के आधार पर ही शिशु को एचआईवी निगेटिव घोषित किया जाता है।
उन्होंने कहा आम लोगों में यह धारणा बन गई है कि एचआईवी का कोई उपचार नहीं है, मगर वह यह भूल जाते हैं कि उपचार के जरिए एचआईवी को अधिक गंभीर होने से रोका जा सकता है। इसके अलावा बहुत सारे एसटीआई का उपचार एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए किया जा सकता है। ध्यान रहे कि योनि, गुदा और मौखिक यौन संबंध एसटीआई को एक से दूसरे व्यक्ति में पहुंचा सकते हैं। इसलिए असुरक्षित यौन संबंध बनाने पर, या खुद को खतरे में महसूस करने पर अपनी जांच अवश्य करवाएं।
एसटीआई क्या है?
यह सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन होता है जो आमतौर पर यौन क्रिया के माध्यम से फैलता है, हालांकि इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं। एसटीआई बैक्टीरिया, वायरस या परजीवी के कारण हो सकता है। रक्त के साथ ही यह शरीर के अन्य तरल पदार्थों के माध्यम से फैलता है। गर्भावस्था या प्रसव के दौरान मां से शिशु में संक्रमण जाने का खतरा रहता है, इसके अलावा दूसरे व्यक्ति की सुई का इस्तेमाल करने से भी इस संक्रमण का प्रेषण हो सकता है। एसटीआई के परीक्षण के बारे में जागरूकता का अभाव इसके प्रसार में सहयोग कर रहा है। आमतौर पर होने वाले एसटीआई में एचआईवी, क्लैमाइडिया, गोनोरिया, सिफलिस, ट्राईकोमोनिएसिस, एचपीवी, हेपेटाइटिस-बी और सी के अलावा हर्पीज शामिल हैं।
महिलाओं को अधिक सतर्क होने की जरूरत क्यों ?
एसटीआई के मामले में महिलाओं को अधिक सतर्क होने की जरूरत इसलिए है, क्योंकि योनि, संक्रमण के प्र?ति ज्यादा संवेदनशील होती है। दरअसल योनी में बैक्टीरिया और वायरस आसानी से प्रवेश कर जाता है, अंदर की नमी बैक्टीरिया के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है। महिलाओं में एसटीआई के लक्षण अपेक्षाकृत कम अनुभव होते हैं। आसामान्य योनी स्राव होने पर चिकित्सक से संपर्क करें। माहवारी के दौरान आसामान्य रक्तस्राव, जननांग या गुदा में खुजली, कमर में सूजन और पेशाब में जलन या दर्द भी एसटीआई के लक्षण हो सकते हैं।