- प्रदेश में केवल 51 प्रतिशत महिलाएं योजना के मुताबिक गर्भधारण करती हैं
- समय से शादी और बच्चों के बीच सुरक्षित अंतराल से होगा परिवार खुशहाल
- परिवार नियोजन सेवा प्रदाताओं का हुआ प्रशिक्षण
हापुड़। कोविड काबू होने के बाद परिवार नियोजन सेवाओं को विस्तार देने के उद्देश्य से सेवा प्रदाताओं यानि सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) और एएनएम को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण के दौरान सीएचओ और एएनएम को परिवार नियोजन सेवाओं के संबंध में प्रभावी काउंसलिंग की सीख दी गई। उन्हें परिवार नियोजन के असल मायने और इस संबंध में फैली भ्रांतियों को दूर करने के तरीके भी सुझाए गए ताकि अधिक से अधिक दंपत्ति परिवार नियोजन के साधनों को अपनाकर अपनी मन मर्जी से बेहतर, सुखी और स्वस्थ जीवन जी सकें। परिवार नियोजन की उपयोगिता पर बात करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. रेखा शर्मा ने कहा बड़ी हास्यास्पद स्थिति यह है कि घर में छोटा सा कार्यक्रम हो तो हम बड़ी प्लानिंग करते हैं और परिवार जैसे महत्वपूर्ण मामले में प्लानिंग को भूल जाते हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय सभागार में आयोजित प्रशिक्षण के दौरान परिवार नियोजन कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एसीएमओ डा. प्रवीण शर्मा ने सीएचओ और एएनएम को कार्यक्रम की बारीकियों से अवगत कराते हुए पूरी कर्मठता से जुट जाने के लिए प्रेरित किया। मास्टर ट्रेनर एचईओ (हापुड़ सीएचसी) सत्यप्रकाश गौतम और सहयोगी ट्रेनर जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ बृजभान यादव ने प्रस्तुतीकरण के जरिए तथ्यात्मक बिंदुओं को बड़ी संजीदगी से समझाया ताकि सीएचओ और एएनएम इन तथ्यों से लाभार्थी को अवगत करा सकें और परिवार नियोजन सेवाओं का विस्तार हो सके। प्रशिक्षण के दौरान शादी की सही उम्र और दो बच्चों के बीच स्पेसिंग पर जोर दिया गया। परिवार नियोजन का मूल आधार भी यही दो बिंदु हैं। लेकिन इससे भी पहले नियोजन यानि प्लानिंग क्यों जरूरी है, इस बात पर विस्तार से प्रकाश डाला गया।
प्रस्तुतीकरण के जरिए बताया गया कि उत्तर प्रदेश में केवल 51 प्रतिशत महिलाएं अपनी योजना के मुताबिक गर्भधारण करती हैं। यानि 49 प्रतिशत महिलाएं बिना तैयारी के ही गर्भवती हो जाती हैं। उसका नतीजा यह होता है कि नौ प्रतिशत महिलाओं का स्वत: गर्भपात हो जाता है। इतना ही नहीं इनमें से 31 प्रतिशत महिलाएं गर्भपात करा लेती हैं। गर्भपात की पीड़ा महिला ही जान सकती है। प्रशिक्षण के दौरान एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया। जो 31 प्रतिशत महिलाएं बिना तैयारी गर्भधारण करने पर गर्भपात कराती हैं, उनमें से केवल पांच प्रतिशत ही प्रशिक्षित चिकित्सकों से गर्भपात कराती हैं बाकी असुरक्षित तरीकों और गैर प्रशिक्षित पेशेवरों से गर्भपात कराकर अपना जीवन खतरे में डालती हैं।
जिला परिवार नियोजन विशेषज्ञ बृजभान यादव ने बताया कम उम्र में शादी करने और जल्दी मां बनने से मां और शिशु, दोनों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पहले तो सही उम्र में शादी करें और शादी के कम से कम दो साल बाद पहला बच्चा। दूसरे बच्चे के लिए जल्दी न करें। दोनों बच्चों के बीच कम से कम तीन साल का अंतर होना जरूरी है। इस बीच पहले शिशु को मां कम से कम दो साल तक स्तनपान जरूर कराए ताकि बच्चा कुपोषण का शिकार न हो। एक बार मां बनने के बाद महिला को फिर से मां बनने के लिए भी कम से कम तीन साल की जरूरत होती है। कम अंतराल में मां बनने पर मां और शिशु, दोनों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। प्रशिक्षण में बताया गया कि सुरक्षित अंतराल के लिए दंपत्ति को परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों के प्रयोग की सलाह दें।