- इस बार एयरोसोल होने से ज्यादा खतरनाक हुआ कोरोना वायरस : डा. जिंदल
- मीटिंग रूम या आफिस में अतिरिक्त सावधान रहने की जरूरत
- ऐसी जगहों पर कोई मौजूद न हो, फिर भी मास्क लगाना जरूरी
गाजियाबाद। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) गाजियाबाद के पूर्व अध्यक्ष और इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डा. वीबी जिंदल ने बताया कि कोरोना की पहली वेव इसलिए कम खतरनाक थी कि उसमें वायरस ड्रोपलेट्स के जरिए अपना फैलाव कर रहा था, इस बार उसने अपना साइज छोटा कर लिया है और छोटे कण एयरोसोल बना देते हैं। इसलिए कोविड-19 की दूसरी वेव, दो मामलों में पहली वेव से खतरनाक है। एयरोसोल होने से वायरस ज्यादा देर तक और ज्यादा दूर तक हवा में रह सकता है। इसके अलावा यह हमारी नाक या गले में नहीं रूक पाता है। छोटा होने के कारण नाक और गले में बने बेरिकेडिंग अपना काम नहीं कर पा रहे हैं और यह सीधे फेफड़ों तक पहुंच जा रहा है, इसलिए यह ज्यादा खतरनाक भी है। डा. जिंदल ने कहा कि इन बातों का यह मतलब नहीं है कि हम डर जाएं, बल्कि यह मतलब है कि हमें पिछली बार से ज्यादा सतर्क और मुस्तैद रहने की जरूरत है। हर समय मास्क लगाकर रहें। हो सके तो घर में भी दो गज की दूरी का पालन करें। इसके अलावा यदि कहीं आफिस, मीटिंग रूम या फिर बैंक्वेट हॉल में जाएं तो अतिरिक्त सावधान बरतें। दरअसल ऐसी जगहों पर ज्यादा लोगों की मौजूदगी रहती है तो लोग सुरक्षा का ध्यान ठीक से रखते हैं लेकिन जैसे ही लोग वहां से निकलते हैं, सावधानी भी कम कर दी जाती है, लेकिन ऐसा करना गलत है। ऐसी बंद जगहों पर कई घंटों तक वायरस की मौजूदगी रह सकती है। इसलिए मीटिंग रूम, आफिस या फिर बैंक्वेट हॉल में अकेले भी हों तो भी अच्छे से मास्क लगाकर रखें। इसके उलट खुले स्थान पर मीटिंग करना इसलिए ज्यादा सुरक्षित है, क्योंकि हवा बहने के साथ वायरस की मौजूदगी बहुत कम समय तक रहती है।
उन्होंने कहा कि कई बार हम अपनों से मिलते हैं तो मास्क हटा देते हैं, यह सोचकर कि हमें पता है वह स्वस्थ हैं, लेकिन ऐसा करना गलत है। दरअसल वायरस जब किसी शरीर में प्रवेश करता है तो पांच दिन तक इंक्यूबेशन पीरियड रहता है। इंक्यूबेशन पीरियड के दौरान वायरस अपने आपको शरीर में स्थापित कर रहा होता है। इस पीरियड के पूरा होने के बाद ही संबंधित व्यक्ति को जुकाम, खांसी या बुखार के लक्षण आते हैं, लेकिन इंक्यूबेशन पीरियड के दौरान वायरस संपर्क में आने वाले व्यक्ति में भी चला जाता है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो जब किसी व्यक्ति के संक्रमित होने का पता लगता है, उससे पांच दिन पहले तक संपर्क में आए लोगों को भी वह संक्रमित कर चुका होता है, इसलिए जरूरी है कि सभी से दो गज की सुरक्षित दूरी पर ही मिलें। और याद रहे कि दो गज की यह दूरी तभी सुरक्षि?त है जब आप दोनों लोगों ने मास्क लगा रखा हो।