नई दिल्ली । कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का 26 जुलाई को मुख्यमंत्री के रूप में दो साल पूरा हो रहा है। माना जा रहा है कि उसी दिन नए नेतृत्व का फैसला हो जाएगा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का दिल्ली दौरा अक्सर विवादों में घिर ही जाता है। आखिरकार उन्हें इसके लिए मना लिया गया कि उम्र के इस पड़ाव पर वह अब राज्य सरकार की कमान छोड़ दें।
माना जा रहा है कि येदियुरप्पा को आश्वासन दिया गया है कि उनके पुत्र विजयेंद्र को उनकी योग्यता के आधार पर उचित तरीके से जिम्मेदारी मिलेगी। इसके बाद येदियुरप्पा मान गए हैं। हालांकि, खबर है कि उन्होंने इस्तीफे की पेशकश कर दी है। लेकिन वापस बेंगलुरु पहुंचने तक उन्होंने इसे सिरे से खारिज कर दिया।
कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा तब से चल रही है जबसे वह मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन 15 दिन पहले तक प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह की ओर से इसे नकारा गया था। उनके कामकाज की प्रशंसा की गई थी। कर्नाटक चुनाव में अभी लगभग दो साल का समय है और ऐसे में अभी नेतृत्व परिवर्तन कर नए मुख्यमंत्री को स्थापित करना आसान होगा।
दरअसल, शुक्रवार को येदियुरप्पा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की थी। शनिवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनकी मुलाकात हुई। देर दोपहर तक येदियुरप्पा इस्तीफे की पेशकश नहीं करने और अगले महीने भी प्रधानमंत्री से मुलाकात की बात करते रहे। 26 जुलाई को मुख्यमंत्री के रूप में उनका दो साल पूरा हो रहा है। दरअसल, वह आलाकमान से स्पष्ट आश्वासन चाहते थे। लेकिन सूत्र बताते हैं कि आखिरकार वह मान गए।
भाजपा येदियुरप्पा को जबरन हटाना नहीं चाहती है। 2023 में चुनाव है और येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय के सबसे बड़े नेता हैं। पिछली बार उन्होंने पार्टी से बगावत की थी और तब भाजपा का जनाधार कम हो गया था। लिहाजा पार्टी ने इस बार उन्हें समझा-बुझाकर राजी किया है। वैसे भी येदियुरप्पा 78 साल के हो चुके हैं और अब उनकी प्राथमिकता अपने पुत्र को स्थापित करना है।