- यह एक दुर्लभ फंगल इन्फेक्शन है जो कोरोना काल में ज्यादा हो रहा है
- कोविड-19 से ठीक हुए मरीजों में यह इन्फेक्शन देखने को मिल रहा है
- डायबिटीज के मरीजों के लिए खतरनाक, शुगर लेवल नियंत्रित रखें
गाजियाबाद। कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच कई लोग म्यूकोरमाइकोसिस नाम के फंगल इन्फेक्शन की चपेट में आ रहे हैं। यह दुर्लभ फंगल इन्फेक्शन है जो किसी व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता कम होने पर होता है। कोविड-19 और डायबिटीज के मरीजों के लिए यह इन्फेक्शन और ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। इस संक्रमण को ब्लैक फंगस के नाम से भी जाना जाता है। नाक, कान और गला रोग विशेषज्ञ और हर्ष ईएनटी क्लीनिक के संचालक डा. बीपी त्यागी बताते हैं कि अचानक ब्लैक फंगस के मामले बढे हैं। उनके अस्पताल में ही ब्लैक फंगस के पांच मरीज भर्ती हैं। यह बुलंदशहर और बिजनौर जैसे जनपदों से आए हैं। इंडियन काउन्सिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार म्यूकोरमाइकोसिस फंगल इंफेक्शन है, जो शरीर में बहुत तेजी से फैलता है। म्यूकोरमाइकोसिस इंफेक्शन नाक, आँख, दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी हो सकता है। इस बीमारी में कई लोगों की आंखों की रोशनी तक चली जाती है, वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। काला फंगस दिल्ली के बाद अब गाजियाबाद में भी प्रवेश कर चुका है। ऐसे में लोगों को सावधान रहने की जरूरत है। कोरोना के खिलाफ दिन-रात जंग कर रहे शहर के मशहूर डॉक्टर बी पी त्यागी ने बताया कि काला फंगस कोरोना इलाज के दौरान अधिक स्टेरायड लेने से होता है। डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि काला फंगस शुगर व कमजोर इम्यूनिटी वाले मरीजों को अपना शिकार बनाता है। इस बीमारी के लक्षणों में चेहरे पर सुन्नपन आना, एक तरफ या दोनों तरफ की नाक का बंद होना, आंखों में कालीपन, सूजन, आंख की पुतला का ना घूमना, अंधापन होना, आंख से दो-दो दिखाई देना, तालू की लालिमा का खत्म होना, दांतों का हिलना, खाने में दिक्कत होना, सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी आना, बेहोशी छाना व सुस्ती आना है। डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि अगर शुगर मरीज व कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को कोरोना हुआ है और उन्हें कोरोना के दौरान व उसके तीन महीने बाद इन लक्षणों में से कोई लक्षण महसूस होता है तो वे तुरंत नाक, कान, गला व आंख स्पेशलिस्ट से संपर्क करें जो सीटी स्केन, एमआरआई आदि से उनका फैलाव देखेंगे। काला फंगस के इलाज में पहले दिन आपरेशन करके डॉक्टर हर तीसरे दिन दूरबीन विधि से नाक की सफाई करता है। जान बचाने के लिए कई बार आंख तक को निकालना पडता है। अच्छा इलाज लेकर 100 में से पांच मरीज ही बच पाते हैं। अगर काला फंगस दिमाग तक पहुंच जाए तो 100 में से सिर्फ एक मरीज ही बच पाता है।
कोरोना के मरीजों को ज्यादा खतरा
म्यूकोरमाइकोसिस आमतौर पर उन लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाता है जिन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है। कोरोना के दौरान या फिर ठीक हो चुके मरीजों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है, इसलिए वह आसानी से इसकी चपेट में आ रहे हैं। खासतौर से कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज है। शुगर लेवल बढ़ जाने पर उनमें म्यूकोरमाइकोसिस खतरनाक रूप ले सकता है। यह संक्रमण सांस द्वारा नाक के जरिये व्यक्ति के अंदर चला जाता है, जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उनको यह जकड़ लेता है।
लक्षण
-नाक में दर्द हो, खून आए या नाक बंद हो जाए
-नाक में सूजन आ जाए
- दांत या जबड़े में दर्द हो या गिरने लगें
- आंखों के सामने धुंधलापन आए या दर्द हो, बुखार हो
- सीने में दर्द
- बुखार
- सिर दर्द
- खांसी
- सांस लेने में दिक्कत
- खून की उल्टियाँ होना
- कभी-कभी दिमाग पर भी असर होता है
किन रोगियों में ज्यादा पाया गया है:
- जिनका शुगर लेवल हमेशा ज्यादा रहता है
- जिन रोगियों ने कोविड के दौरान ज्यादा स्टेरॉइड लिया हो
- काफी देर आईसीयू में रहे रोगी
- ट्रांसप्लांट या कैंसर के रोगी
कैसे बचें :
- किसी निर्माणाधीन इलाके में जाने पर मास्क पहनें
-बगीचे में जाएं तो फुल आस्तीन शर्ट, पैंट व ग्लब्स पहनें - ब्लड ग्लूकोज स्तर को जांचते रहें और इसे नियंत्रित रखें
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना
हल्के लक्षण दिखने पर जल्दी से डॉक्टर से संपर्क करेें कोविड के रोगियों में अगर बार – बार नाक बंद होती हो या नाक से पानी निकलता रहे, गालों पर काले या लाल चकत्ते दिखने लगें, चेहरे के एक तरफ सूजन हो या सुन्न पड़ जाए, दांतों और जबड़े में दर्द, कम दिखाई दे या सांस लेने में तकलीफ हो तो यह ब्लैक फंगस हो सकता है।