गाजियाबाद। जिले में कोरोना संक्रमण ने कहर बरपा रखा है। लोग मर रहे हैं और अस्पतालों में न बेड मिल रहे हैं और न ही आक्सीजन मिल पा रही है। ऐसे में जनप्रतिनिधियों के प्रति भी लोगों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग, विधायक सुनील शर्मा व अजीतपाल त्यागी ने आक्सीजन की समस्या से निपटने के लिए अपनी-अपनी निधि से राशि दी है लेकिन इनके द्वारा जनता के लिए कुछ और प्रयास किए गए हैं इसकी जानकारी कहीं से नहीं मिल रही है। शुक्रवार को सांसद वीके सिंह ने आकर मोर्चा संभाला और जूम मीटिंग पर आश्वस्त किया कि आक्सीजन की किल्लत को दूर करने के लिए जो प्रयास किए गए उसके सार्थक परिणाम आ रहे हैं। नगरायुक्त महेन्द्र सिंह तंवर को नोडल अधिकारी बनाकर अस्पतालों में बेड, आक्सीजन की आपूर्ति की जो जिम्मेदारी दी गई है उससे कोविड मरीजों को राहत मिल रही है। उन्होंने कहा कि 19 अप्रैल को सीएमओ एनके गुप्ता ने लखनऊ स्वास्थ्य विभाग से जिले में 43 मीट्रिक टन आक्सीजन की डिमांड रखी थी, लेकिन मिल केवल 27 मीट्रिक टन रही थी। यह मामला उनके संज्ञान में आया तो उन्होंने भी लखनऊ में एसीएस अवनीश अवस्थी से बात की लेकिन परिणाम नहीं आए। इसके बाद जिले के अधिकारियों से वार्ता कर यह पता लगवाया कि वास्तव में जिले के अस्पतालों में बेड कितने हैं और कितने मरीज भर्ती और कितने मरीजों को आक्सीजन की जरूरत है। नगरायुक्त महेन्द्र सिंह तंवर के माध्यम से सभी अस्पतालों से खाली बेड के लिए कोविड कंट्रोलरूम को लिस्ट जारी करने को कहा गया, अब कंट्रोल रूम से भी यह जानकारी मिल सकेगी कि किस अस्पताल में कितने बेड खाली है। कई अस्पताल संचालकों द्वारा रिपोर्ट न देने पर निरीक्षण कराया गया और उनके खिलाफ कार्रवाई कराई गई। सांसद वीके सिंह ने बताया कि गाजियाबाद के कोविड मरीजों को पर्याप्त आक्सीजन मिले, इसको लेकर वृहद स्तर पर कार्य किया गया। उन्होंने हरिद्वार में बीएसईएल से आक्सीजन देने की बात रखी, लेकिन उत्तराखंड सरकार ने अपने राज्य से बाहर आक्सीजल देने पर रोक लगा रखी है, इसलिए हमने खाली सिलेंडर वहां भेजे हैं जो रिफिल होकर आ जाएंगे। इसके अलावा गोयल एजेंसी व आइनाक्स से भी आक्सीजन मिल रही है। आज रात से स्थिति ठीक हो जाएगी। गाजियाबाद स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में आगे दिखाई देगा, पीछे नहीं रहेगा। उन्होंने बताया कि जिला संयुक्त अस्पताल को भी आक्सीजन कंसट्रेटर दिलाए गए हैं। सांसद वीके सिंह ने यह बात भी सभी से साझा की कि वे खुद कोरोना संक्रमित हो गए थे, लेकिन अस्पताल में भर्ती नहीं हुए। चाहते तो वे किसी बड़े अस्पताल में भर्ती हो सकते थे लेकिन उन्होंने घर पर रहकर ही स्वास्थ्य लाभ लिया। हालांकि उनके ऐसा करने से परिवार के लोग भी कोरोना संक्रमित हो गए लेकिन अब सभी धीरे-धीरे ठीक हो रहे हैं। उन्होंने जिले के लोगों से व्यवस्थाओं को और बेहतर करने के लिए सहयोग की अपील भी की है। जूम मीटिंग को शानदार संचालन अश्वनी शर्मा ने किया।