गाजियाबाद। जो आनन्द देने में है वह भोगने में नहीं। भारतीय संस्कृति के आदर्श वाक्य को नेहरू वर्ल्ड स्कूल ने कोरोना त्रासदी में चरितार्थ कर दिखाया। नेहरू वर्ल्ड स्कूल हमेशा से अंधेरों में दीप जलाने का प्रयास करता रहा है, चाहे विशेष बच्चों के लिए आगे आना हो, बाढ़ पीड़ितों की मदद करना हो या भूकंप पीड़ितों को राहत सामग्री भेजना हो। आज कोविड-19 महामारी ने जहां एक ओर देश व समाज को हिलाकर रख दिया है, कितने घरों के पालनहारों व चिरागों को लील लिया है। ऐसे में स्कूल ने उन छात्रों की ओर अपनत्व का हाथ बढ़ाया, जिन्होंने इस महामारी में अपने पालनहारों व कमाऊ सदस्यों को खोया है। स्कूल के निदेशक अरूणाभ सिंह वहां उनके अभिभावक की भूमिका में उनके साथ खड़े हुए। उनकी शिक्षा को सुचारु रुप से चलाने की जिम्मेदारी उठाते हुए तुरंत प्रभाव से बच्चों की सम्पूर्ण फीस माफ करने का निर्णय किया। यह निर्णय केवल एक वर्ष के लिए नहीं अपितु जब तक वह छात्र नेहरू वर्ल्ड स्कूल से अपनी पूरी शिक्षा नि:शुल्क प्राप्त करेगा । इसी कड़ी में समाज को जोड़ने के आषय से नेहरू वर्ल्ड स्कूल अभिभावकों को भी सूचना व अनुग्रह पत्र भेजकर इस श्रंखला में जुड़ने के लिए प्रेरित किया। परिणाम स्वरुप समाज के कुछ श्रेष्ठजनों ने विद्यालय को पत्र लिखकर मदद करने का जज्बा दिखाया है। समाज सेवा के मूलभाव को सिद्ध करते हुए स्कूल के शिक्षक भी इस नेक काम में आगे आए हंै। इस अवसर पर स्कूल के निदेशक अरूणाभ सिंह ने कहा कि श्रेष्ठ शिक्षा सभी बच्चों का अधिकार है। प्रकृति प्रदत्त कारणों से कोई छात्र इससे वंचित न रहे इसी दिशा में उठाया एक छोटा सा कदम है। मंै उन सब का आभारी हूँ जो इस मुहिम में मेरे व नेहरू वर्ल्ड स्कूल के साथ हैं।