नई दिल्ली। काफी ऊहापोह के बाद रविवार को असम के मुख्यमंत्री का नाम तय किया गया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा व गृह मंत्री अमित शाह के साथ घंटों की बैठक के बाद हिमंत बिस्वा सरमा का नाम फाइनल किया गया था। सोमवार को राज्यपाल जगदीश मुखी ने हिमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री पद एवं गोपनियता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई अन्य वरिष्ठ नेता भी शामिल रहे। बता दें कि 2014 में तरुण गोगोई से मतभेद होने के बाद हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस छोड़ दी थी। शपथ ग्रहण से पहले हिमंत बिस्वा सरमा ने भगवती का आशीर्वाद लिया। सरमा ने कामाख्या मंदिर और डोल गोविंद मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की।
राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर तस्वीर साफ नहीं हो पा रही थी। सोनोवाल से ज्यादा सरमा की दावेदारी ज्यादा मानी जा रही थी। पार्टी हाईकमान ने चुनाव प्रचार में सरमा पर ज्यादा भरोसा जताया था। भाजपा नेतृत्व ने दोनों नेताओं को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए शनिवार को दिल्ली बुलाया था। रविवार को गुवाहाटी में विधायक दल की बैठक में सरमा के नाम पर मुहर लगा दी गई। ऐसी संभावना है कि सोनोवाल को केंद्र सरकार में स्थान मिलेगा। विधायक दल के नेता के रूप में सरमा का नाम पेश करने वाले सोनोवाल ने कहा कि नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (नेडा) के संयोजक सरमा मेरे लिये छोटे भाई के समान हैं। मैं उन्हें इस नई यात्रा के लिए शुभकामनाएं देता हूं। वहीं, सरमा ने कहा कि उनके पूर्ववर्ती सर्वानंद सोनोवाल मार्गदर्शक बने रहेंगे। सरमा ने सर्वसम्मति से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद अपने संबोधन में कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, सोनोवाल और अन्य पार्टी नेताओं के आभारी हैं, जिन्होंने राज्य के लोगों की सेवा करने का उन्हें मौका दिया। सरमा लगातार पांचवीं बार जलुकबाड़ी सीट से विधायक निर्वाचित हुए हैं। असम की 126 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ गठबंधन को 75 सीटें मिली हैं।