गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में संध्या से शांति की ओर विषय पर आॅनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया। दर्शनाचार्या विमलेश बंसल ने ओजस्वी सरल ज्ञानमयी वाणी में कहा की सन्ध्या हमारे जीवन का आवश्यक एक ऐसा करणीय नैत्यिक कर्म है जो व्यक्ति को अशांति से शांति की ओर ले जाता है। आपाधापी के युग में विशेषकर इस कोरोना जैसी विकट परिस्थियों में जहां जहां त्राहि-त्राहि मची हो, सन्ध्या एक सम्बल प्रदान करती है तथा दुखी परेशान तनावग्रस्त व्यक्ति को मानसिक संतुलन प्रदान करती है। यूँ तो सन्ध्या एक उत्तम नैत्यिक कर्म है ईश्वर का सम्यक ध्यान प्रत्येक व्यक्ति के लिए दोनों समय अनिवार्य है ही किन्तु सम्यकरूपेण अर्थ मनन चिंतन के साथ की गई सन्ध्या मंजिल तक पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती। सन्ध्या से आत्मिक ज्ञान के आलोक में कुकर्मों, कुचेष्टाओं, पापवासनाओं से बचते हुए शुभ कर्मों, पुण्यकर्मों की प्रवृत्ति का उत्तरोत्तर विकास होता जाता है जो अंतत: साधक के अपने लिए ही नहीं समाज, राष्ट्र के लिए भी हितकर सिद्ध होता है। मनुष्य के अपने कर्तव्य के साथ समाज व ईश्वर के प्रति क्या कर्तव्य हैं उसका बोध सन्ध्या में समाहित है। सन्ध्या से शारीरिक मानसिक और आत्मिक बल की प्राप्ति हो व्यक्ति महान बन उस महान को चारों ओर मनसा परिक्रमा कर निहार सकता है और ईश्वर प्रदत्त प्रतिक्षण प्राप्त सुखों को प्राप्त कर स्वस्थ लम्बा जीवन पा आनंदित हो सकता है। अत: सुख शांति आनंद के अभिलाषी जनों को दोनों समय ईश्वर का सम्यक ध्यान महर्षि दयानंद की निर्मित सन्ध्या विधि पद्धति द्वारा चिंतन मनन पूर्वक अवश्य करना चाहिए तभी जीवन संतुलित, मर्यादित एकाग्रचित्त स्वस्थ हो आनंदित हो सकता है। इससे बढ़िया अन्य कोई उपासना की पद्धति नहीं हो सकती। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि संध्या परमात्मा से समीपता का सर्वोत्तम साधन है। मुख्य अतिथि वीना आर्या व आर्य समाज हापुड़ की अध्यक्ष अलका अग्रवाल ने भी संध्या को उपासना का सही मार्ग बताया।
प्रवीण आर्य के कहा कि संध्या आनन्द का स्रोत है। गायिका डॉ. अनुराधा आनन्द, नरेंद्र आर्य सुमन, रवीन्द्र गुप्ता, राजकुमार भंड़ारी, वीना वोहरा, आशा आर्या, ईश्वर देवी, चंद्र कांता आर्या आदि ने भजन सुनाये। आर्य नेता आनन्द प्रकाश आर्य, वेद भगत, सौरभ गुप्ता, वीरेन्द्र आहूजा, कमलेश हसीजा व नीलम आर्या आदि उपस्थित थे।