गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में डीएवी आंदोलन के प्रणेता व प्रथम अवैतनिक प्रधानाचार्य महात्मा हंसराज का 157 वां जन्मोत्सव सोल्लास आॅनलाइन जूम पर मनाया गया। उल्लेखनीय है कि आपका जन्म 19 अप्रैल 1864 को होशियार पुर,पंजाब में हुआ था। मुख्य वक्ता आचार्य हरिओम शास्त्री (फरीदाबाद) ने कहा कि महात्मा हंसराज मानसरोवर के राजहंस से भी अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। महात्मा हंसराज का संपूर्ण जीवन शिक्षा और सेवा हेतु समर्पित था। वे अपने बड़े भाई लाला मुल्कराज के द्वारा दिए गए अपने वेतन के आधे भाग से परिवार का पालन करते हुए आजीवन आर्य समाज व डीएवी स्कूल व कालेज की सेवा करते रहे। समस्त देश के शोषित वंचित हिंदू जनों की सेवा करते हुए उन्हें कई बार भयंकर शारीरिक व आर्थिक कष्टों का सामना भी करना पड़ा। एक बार उन्हें क्षयरोग भी हो गया। परन्तु अपने रोग व समस्याओं की परवाह न करते हुए उन्होंने शुद्धि आन्दोलन,वेद प्रचार व डीएवी स्कूल तथा कालेज की सेवा नहीं छोड़ी। अपने बिछुडे भाई मलकाने राजपूतों जो कभी मुस्लिम शासकों द्वारा तलवार के बल पर मुसलमान बना लिये गये थे,उन्हें शुद्ध कर पुन: हिन्दू धर्म ग्रहण कराने का महान कार्य करते रहे। इसीलिए उनका स्वास्थ्य निरन्तर गिरता गया। अन्त में आर्य समाज के लोगों को वेद प्रचार व डीएवी का काम सौंपकर ये महामानव महात्मा हंसराज 15 नवम्बर 1938 को 74 वर्ष की आयु में अपने स्वामी परमपिता परमात्मा को और गुरु महर्षि दयानंद महाराज को नमन करते हुए अपना नश्वर शरीर छोड़ कर ईश्वर की गोद में चले गए। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने कहा कि महात्मा हंसराज जहाँ शिक्षा विद थे,साथ ही सेवा विद भी थे वह मानवता के सच्चे उपासक थे,जहाँ भी कहीं प्राकृतिक आपदा आयी वहाँ सेवा करने पहुंच गए। उनके जीवन दर्शन व गुणों को धारण करने की आवश्यकता है। समारोह अध्यक्ष शिवकुमार टुटेजा ने कहा कि ऐसे महामानव अंतराल के बाद जन्म लेते हैं और उदाहरण बन जाते हैं। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद उत्तर प्रदेश के महामंत्री प्रवीण आर्य व हिसार से ईश आर्य ने भी उनके पदचिन्हों पर चलने का आह्वान किया। योगाचार्य सौरभ गुप्ता ने संचालन करते हुए आज के युवाओं को महात्मा जी से प्रेरणा लेने का आह्वान किया। गायिका सुदेश आर्या, सुखवर्षा सरदाना,आशा आर्या, ईश्वर देवी, रवीन्द्र गुप्ता, सुलोचना देवी, बिंदु मदान, संतोष डावर, जनक अरोड़ा, आदर्श मेहता आदि के मधुर भजन हुए। डॉ आरके आर्य, डॉ. गजराज सिंह आर्य, राजेश मेहंदीरत्ता, यशोवीर आर्य, निर्मल टुटेजा आदि उपस्थित थे।