गाजियाबाद। हर साल दुनिया में 8 जून को ब्रेन ट्यूमर डे मनाया जाता है। इस दिन मस्तिष्क ट्यूमर से संबंधित जागरुकता फैलाने का प्रयास किया जाता है। इसी कड़ी में यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल कौशाम्बी में भी एक जागरूकता व्याख्यान का आयोजन किया गया। कोरोना के मद्देनजर यह प्रोग्राम फेसबुक लाइव के जरिये किया गया। यशोदा हॉस्पिटल कौशाम्बी के वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुमंतो चटर्जी ने फेसबुक लाइव के जागरूकता व्याख्यान जरिये मस्तिष्क ट्यूमर से संबंधित जानकारिया दीं और लोगों के सवालों का जवाब भी दिया।
उन्होंने ने बताया की मष्तिष्क में ट्यूमर या गांठ कई कारणों से हो सकते हैं, ऐसे में उनको जितना जल्दी पहचान लिया जाए वो ही अच्छा होता है। एक बार ट्यूमर बन जाने पर हर तीन महीने में या जल्दी एमआरआई जांच कर उसके बढ़ने को देखा जा सकता है। ट्यूमर को दवाइयों से या रेडिएशन से या सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। डॉ. सुमंतो ने कहा कि हर साल 8 जून को विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है। यह ट्यूमर मस्तिष्क की कोशिकाओं में होता है। जब ब्रेन में अनियंत्रित रूप में कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं या फिर जमने लगती है तो ब्रेन ट्यूमर जानलेवा भी साबित हो सकता है। आज के समय में खराब जीवन शैली की वजह से किडनी, फेफड़े, हार्ट सबंधी कई रोगों का शिकार हो जाते हैं। उन्हीं में से एक है ब्रेन ट्यूमर। जब ब्रेन में अनियंत्रित रूप में कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं या फिर जमने लगती है तो ब्रेन ट्यूमर जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसकी सबसे घातक बीमारियों में गिनी जाती है। इस दिवस को मनाने के पीछे उद्देश्य है कि लोगों को ब्रेन ट्यूमर के बारे में जागरूक करना। चिकित्सा विशेषज्ञों का यह मानना है कि दुनियाभर में रोजाना एक लाख में से दस लोग ब्रेन ट्यूमर के कारण मरते हैं। मस्तिष्क में अचानक असामान्य कोशिकाओं का बढ़ जाने को ब्रेन ट्यूमर कहते है। ब्रेन ट्यूमर कई प्रकार के होते हैं। इसमें मस्तिष्क के खास हिस्से में कोशिकाओं का गुच्छा बन जाता है। यह कई बार कैंसर की गांठ में तब्दील हो जाता है। ब्रेन ट्यूमर को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। सही समय पर इसकी जानकारी होना बहुत जरूरी है।