नई दिल्ली । पेगासस जासूसी कांड पर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। पेगासस जासूसी मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच कर रही है। इस मामले में विभिन्न लोगों और संस्थाओं ने कई याचिकाएं दायर की है। इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार एनराम और शशिकुमार, सीपीएम के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास और वकील एमएल शर्मा ने याचिकाएं दाखिल की हैं।
पेगासस मामले की सुनवाई के दौरान एन.राम और अन्य के लिए वरिष्ठ सलाहकार कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि पेगासस एक दुष्ट तकनीक है, जो हमारी जानकारी के बिना हमारे जीवन में प्रवेश करती है। यह हमारे गणतंत्र की निजता, गरिमा और मूल्यों पर हमला है। CJI का कहना है कि अगर रिपोर्ट सही है तो इसमें कोई शक नहीं कि आरोप गंभीर हैं।
पेगासस जासूसी मामले पर आज सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुनने के बाद सभी याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे अपनी याचिका की प्रति केंद्र को दें। मंगलवार (10 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट मामले की दोबारा सुनवाई करेगा। पेगासस मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इनमें एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों एन.राम व शशि कुमार द्वारा दी गई याचिकाएं भी शामिल हैं। पेगासस मामले की जांच को लेकर संसद में विपक्ष का हंगामा लगातार जारी है। विपक्ष के हंगामे के चलते संसद की कार्यवाही बार-बार स्थगित हो रही है।
सर्वोच्च न्यायालय में पेगासस मामले पर सुनवाई चल रही है। इस दौरान एन.राम और अन्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल का कहना है कि यह स्पाइवेयर केवल सरकारी एजेंसियों को बेचा जाता है और निजी संस्थाओं को नहीं बेचा जा सकता है। एनएसओ प्रौद्योगिकी अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में शामिल है।
इस मामले पर सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल का तर्क है कि पत्रकार, सार्वजनिक हस्तियां, संवैधानिक प्राधिकरण, अदालत के अधिकारी, शिक्षाविद सभी स्पाइवेयर द्वारा लक्षित हैं और सरकार को जवाब देना है कि इसे किसने खरीदा ? हार्डवेयर कहां रखा गया था? सरकार ने प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की? इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि मैं चाहता हूं कि भारत सरकार को नोटिस जारी करें।
गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी साफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केन्द्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हैक किए गए हैं। हालांकि सरकार ने अपने स्तर पर खास लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज किया है। सरकार ने कहा कि इसका कोई ठोस आधार नहीं है या इससे जुड़ी कोई सच्चाई नहीं है।