- महर्षि दयानंद जी के आदर्शों को अपनाने की आवश्यकता: आनन्द चौहान
- आर्य समाज जीवन जीने की कला सिखाता है: आर पी रघुवंशी
- युवाओं में राष्ट्र निर्माण को और अधिक गति देंगे: अनिल आर्य
गाजियाबाद। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद का 44 वां स्थापना दिवस समारोह आॅनलाइन मनाया गया। मुख्य अतिथि एमिटी शिक्षण संस्थान के निदेशक आनन्द चौहान ने कहा कि मैं पिछले 36 वर्षों से आर्य युवक परिषद के साथ जुड़ा हुआ हूं। यह संस्था महर्षि दयानंद की विचारधारा को नई पीढ़ी में प्रेरित करने का सराहनीय कार्य कर रही है। महर्षि दयानंद के आदर्शों पर चलकर ही समाज व देश का नवनिर्माण हो सकता है। राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य के नेतृत्व में युवा निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका शिविरों के माध्यम से कर रही है, जिसकी आज महती आवश्यकता है, इस पुनीत कार्य को और अधिक प्रचार प्रसार की आज आवश्यकता है। समारोह अध्यक्ष आर.पी. रघुवंशी (पत्रकार) ने वेबिनार में उपस्थित लोगों स्थापना दिवस पर बधाई दी। उन्होंने बताया कि वह बचपन से ही आर्य समाज से जुड़े हैं तभी से उनको वैदिक विचारधारा को सुनना, बोलना, प्रसारित करना अति प्रिय है। उन्होंने बताया कि चौधरी चरण सिंह जो देश के प्रधानमंत्री रहे और नगर आर्य समाज गाजियाबाद के प्रधान पद को भी सुशोभित किया था। वे आर्य समाज को अपने जीवन में जीते थे, यानी पहनावे में, व्यवहार में, आचरण में, वैदिक विचारधारा से ओतप्रोत थे। आर्य समाज एक जीवन जीने का मार्ग है। केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने गत 43 वर्षों की उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि आज राष्ट्र भक्ति का जज्बा बढ़ाने की आवश्यकता है, परिषद इसे और अधिक गति से आगे बढ़ायेगी। उन्होंने कहा कि समाज के हर मुद्दे पर परिषद ने अहम भूमिका निभाई है। बहुकुण्डीय यज्ञ, आर्य महासम्मेलन, राष्ट्रीय व सामाजिक मुद्दों पर धरने प्रदर्शन, युवा संस्कार अभियान,चरित्र निर्माण शिविर, गोष्ठियां, वेबिनार आदि मुख्य अंग हैं। इस अभियान को और अधिक चलाया जाएगा। राष्ट्रीय महामंत्री आचार्य महेन्द्र भाई ने परिषद की उपलब्धियों की चर्चा की। आर्य नेता सत्यानन्द आर्य ने समाज व राष्ट्र के कार्यों की चर्चा करते हुए शुभकामनाएं दीं। गायिका उर्मिला आर्या,अंकित उपाध्याय,प्रवीन आर्या, दीप्ति सपरा,सौरभ गुप्ता ने भजन प्रस्तुत किये। प्रमुख रूप से आचार्य गवेन्द्र शास्त्री, प्रवीना ठक्कर (मुम्बई), आनन्द प्रकाश आर्य (हापुड़), प्रवीण आर्य (गाजियाबाद), यशोवीर आर्य, गोबिंद सिंह भंडारी (बागेश्वर), सत्यभूषण आर्य (जिला व सत्र न्यायाधीश समस्तीपुर), अजय सहगल (सीईओ, धर्मशाला केंट), सुभाष बब्बर (जम्मू), वेदव्रत बेहरा (उड़ीसा), रामानन्द आर्य (पटना), कृष्ण प्रसाद कौटिल्य (हजारीबाग), भानुप्रताप वेदालंकार (इंदौर), ईश आर्य (हिसार), स्वतंत्र कुकरेजा (करनाल), हरिचंद स्नेही (सोनीपत), शंकर देव आर्य (खण्डवा), मनु सिंह (देहरादून), दुर्गेश आर्य, रामकृष्ण शास्त्री (बहरोड़), शेलेन्द्र कुमार (मुजफ्फरपुर), आर्य सुरेन्द्र शास्त्री, नरेंद्र आर्य सुमन, ओम सपरा, डॉ. सुषमा आर्या आदि ने भी अपने विचार रखे।