नई दिल्ली। बंगाल चुनाव जीतकर विपक्षी दलों के बीच प्रमुख चेहरा बनीं ममता बनर्जी चाहती हैं कि 2024 के लिए भाजपा के खिलाफ एक मजबूत विकल्प खड़ा हो, लेकिन फिलहाल इसका कोई आकार सामने नहीं है। उनका साफ कहना है, सभी दलों को हिम्मत के साथ खड़ा होना होगा, मन बनाना होगा, तभी कुछ तय हो सकता है।
बंगाल में फिर सत्ता संभालने के बाद पहली बार दिल्ली आईं ममता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से औपचारिक मुलाकात के साथ-साथ कुछ विपक्षी दलों के नेताओं से मिल चुकी हैं। बुधवार को भी उन्होंने सोनिया गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत अन्य नेताओं से मुलाकात की। इससे पहले मीडिया से रूबरू ममता से ज्यादातर सवाल विपक्षी मोर्चे को लेकर हुए।
हालांकि वह खुद को ऐसे किसी विकल्प के नेता की दौड़ में शामिल नहीं करना चाहतीं। वह कहती हैं, मुझे कोई आपत्ति नहीं अगर कोई और चेहरा बनता है। वैसे भी कोलकाता में प्यारा सा घर है। मेरी मंशा तो सिर्फ बिल्ली के गले में घंटी बांधने की है। मैं काडर रहना ही पसंद करूंगी।
ममता ने कहा कि अभी तो बच्चे का जन्म भी नहीं हुआ और नामकरण की बात शुरू हो गई। भाजपा से लड़ने के लिए मजबूत एकजुटता की जरूरत है, देश भी यही चाहता है, लेकिन इसका आकार, इसकी रणनीति सब कुछ तभी तय होगा जब सभी मिल बैठेंगे।’
उन्होंने कहा कि माहौल बदलते वक्त नहीं लगता, इतिहास गवाह है कि अटल बिहारी वाजपेयी के काल में भी कई चीजें बदल गई थीं, बहुत लंबे समय की जरूरत नहीं, तीन महीने में भी बहुत कुछ हो सकता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें कांग्रेस पर भरोसा है तो उन्होंने कहा सोनिया जी से मेरे अच्छे संबंध हैं, मैं कांग्रेस के अंदरूनी मामलों में नहीं जाना चाहती, लेकिन इतना कहूंगी कि जब एकजुट लड़ाई की बात आएगी तो बीती बातें भूलकर आगे बढ़ने की कोशिश होगी।
वाम दलों के व्यवहार पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें पहले तय करना होगा कि दुश्मन भाजपा है या तृणमूल। शाम को सोनिया से हुई मुलाकात के बाद भी उन्होंने दोहराया कि विपक्षी एकजुटता समय की मांग है और उस पर जल्द आगे बढ़ा जाएगा। उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों में आगामी चुनावों को लेकर उन्होंने कहा कि अभी कुछ भी तय नहीं है।