नई दिल्ली। इस साल भारत कर रहा ब्रिक्स की अध्यक्षता पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थित गोगरा इलाके में सैन्य तैनाती खत्म करने को लेकर भारत और चीन के बीच बनी सहमति आगामी ब्रिक्स बैठक पर भी सकारात्मक असर डाल सकती है। पांच देशों ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के संगठन ब्रिक्स की अध्यक्षता इस बार भारत कर रहा है।
इस बार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी भारत-रूस शिखर बैठक के लिए भारत आना है। इस बारे में उनकी पीएम नरेंद्र मोदी से टेलीफोन पर बात हुई है। दोनों देश इस वर्ष शिखर बैठक को हर हाल में आयोजित करना चाहते हैं। हर वर्ष होने वाली यह बैठक 2020 में नहीं हो पाई थी। ऐसे में ब्रिक्स शिखर बैठक का अगर आयोजन भारत में होता है तो उसके साथ भारत-रूस शिखर बैठक का आयोजन भी शामिल किया जा सकता है। कई अंतरराष्ट्रीय जानकार हाल के दिनों में भारत और चीन के रिश्तों में लगातार तनाव को देखते हुए ब्रिक्स के भविष्य को लेकर भी सवाल उठाने लगे हैं।
ब्रिक्स के तहत तमाम बैठकों का दौर चल रहा है और अमूमन इस वर्ष की सभी बैठकों का आयोजन डिजिटल माध्यम के जरिये ही हो रहा है। इस माह भी ब्रिक्स पर्यावरण मंत्रियों, वित्त मंत्रियों, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की अलग-अलग बैठकें होंगी, लेकिन शिखर बैठक की तिथि को लेकर सदस्य देशों के बीच अभी अंतिम फैसला नहीं हो पाया है।
दूसरी तरफ अमेरिका के नेतृत्व में क्वाड (अमेरिका, भारत, जापान व आस्ट्रेलिया का संगठन) में शामिल होने के बावजूद भारत मानता है कि ब्रिक्स जैसे संगठनों की भी प्रासंगिकता आगे बनी रहेगी। यही वजह है कि चीन के साथ तनाव के बावजूद वह ब्रिक्स की हर बैठक को पूरी तवज्जो देता है।
जानकारों का कहना है कि अगर एलएसी पर स्थित दो अन्य क्षेत्रों हाट स्प्रिंग व देपसांग में सैन्य तनाव खत्म करने को लेकर भी सहमति जल्द बन जाती है तो फिर सामान्य रूप से शिखर सम्मेलन की संभावना भी बन सकती है। भारतीय पक्ष यह मान कर चल रहा है कि गोगरा इलाके को खाली करने के बाद चीन शेष बचे दो इलाकों से सैनिकों को मई 2020 से पहले वाली स्थिति पर ले जाने के लिए भी जल्द ही तैयार हो जाएगा। दोनों देशों के बीच इस बारे में कूटनीतिक स्तर की अगली वार्ता को लेकर संपर्क बना हुआ है।